सिद्धि हेतु स्वामी गये यह गौरव की बात
पर चोरी चोरी गये, यही बड़ा व्याघात ।
सखि, वे मुझसे कहकर जाते,
कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ बाधा ही पाते ?
मुझको बहुत उन्होंने माना
फिर भी क्या पूरा पहचाना ?
मैंने मुख्य उसी को जाना
जो वे मन में लाते ।
सखि, वे मुझसे कहकर जाते ।
"मैथिलीशरण गुप्त"- Kalyani poet
25 APR 2019 AT 11:10