ना जाने कोशिशें कई बेकार गये
कसर जिसकी बाकी अभी तक है
कसूर तेरी आदत ऐसी लगी हमें
कि ज़ख्म पर वार बार-बार किये ।-
Kalyani Gupta
(K-writes ✒)
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Writing because, only by words we can express a lot of things indeed of saying anything di... read more
Joined 18 January 2020
29 FEB 2024 AT 21:39
14 FEB 2024 AT 13:41
महसूस किया कि तुम साथ हो,
दूर ही सही पर आस-पास हो,
अब क्या ही बयां करें तुम्हें,
गैरों के होकर भी ख़ास हो।-
12 FEB 2024 AT 21:41
एक चाहत सी है जिंदगी की शिकायतें मिटा लेने की,
पर डर है कि कहीं ये चाहत मेरी यूं ही बेबस ना हो जाए।-
12 FEB 2024 AT 0:00
शुक्र है कि अहसास ही काफ़ी हो तुम,अगर जो ये ख़्वाब होते तो ये उम्र कम पड़ जाती तुम्हें पाने कि कोशिशों में ।
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13 DEC 2022 AT 12:46
Hum roye bhi unke liye toh galti hamari hai ki hum chizon ko smjh nhi rhe....
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5 MAR 2022 AT 23:12
खुश तो बहुत है कि देर ही सही,तुम आ तो गए हमारे शहर में,
पर अफ़सोस कि हम अब इस शहर को छोड़ने पर मजबूर हुए जा रहे |-
22 FEB 2022 AT 9:32
साहब 'इश्क़ ' में सवाल किए ही नहीं हमने कभी ,
बस ज़ज्बातों का हवाला देकर शिकायतें कर लेते हैं|
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21 FEB 2022 AT 12:07
हम तुम्हारे साथ खुश ही रहे ये ज़रूरी नहीं,
मगर,तुम्हें खुश रखने की मज़बूरी जरूर होगी|-