सारा दर्द तो सिर्फ नाम का है कुछ बातें दिमाग़ को इतनी चुभती है हम बर्दाश्त तक नहीं कर पाते हैं । घुट रहें होते हैं लेकिन किसी से अपने दिल की बात अंततः नहीं कहते हैं ।।
छप गया मेरे चरित्र का प्रमाण पत्र थोड़ा सा दर्द हुआ इंजेक्शन भर खून लिया गया लोगों को शक था खुद को यकीन दिलाया गया..। पाख दामन हुं जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गया हुं मैं।। #AIDS
एक सवाल करती क्या वक्त था क्या आजमाइश थी ज़माने की कोई फ़िक्र नहीं थी इश्क परवान चढ़ रहा था हम एक-दूसरे का साथ लिए बंद कमरों में खुद को खुशनसीब बन रहें थें। ज़माने की हवा बही समाज की सोच हम दोनों में समाई बाप की इज्ज़त रख ली मां का लाडला खुद से दूर हो गया। मैं समाज के लिए चुप रह गई। वो रातों की तन्हाईयो में सिमट गया।