Kalpana Sharma   (Kalpana Sharma ✍️✍️✍️)
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Joined 16 June 2020


Joined 16 June 2020
21 JUL 2023 AT 20:43

समेट लो यादों को,
ये वक्त की नाराज़गी का पता नही जानेजां,
कब "शर्मा" तुझ से जुदा कर दे हमे !!

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21 JUL 2023 AT 20:35

नेक राह पर चलती रहूँ,
जब भी क़दम लड़खड़ा जाए, बस तेरा दामन पकड़ती रहूँ !
जब कभी रहूं मुसीबत में, बस तेरी धुन रटती रहूँ,
संभाल लेंगे आप, सुमरीन तेरा करती रहूँ !
हाँ यकीं मुझे ख़ुद से ज्यादा "शम्भू" तुझ पर है !
"शर्मा" के हर क़दम तू उसके संग रहता है,
उसके लिए या ईश्वर तेरा शुक्रिया !!

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12 JUL 2023 AT 22:27

आ गया है सावन तुम आओगे ना,
एक बार फिर अपने शहर की सैर करवाओगे ना !!
किए थे जो वादे वो निभाओगे ना,
एक बार फिर चाय की टपरी पर चाय पिलाओगे ना!!
हर पल के इन्तजार में अब उम्र का तकाज़ा हो चला है, अब आख़िरी सांसें बाकी है "शर्मा", इस सावन अंतिम बार "कल्पना" को झूला झुलाओगे ना !!

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14 JUN 2023 AT 20:58

तसव्वुऱ में तेरा दीदार लाज़मी है,
खुली आंखों से तेरा दीद माशा-अल्लाह किसी जन्नत से कम नहीं!
जद्दोहद कर पा ही लगे तुम्हें,
यकीनन हर रोज़ तजुर्बा एक नई सीढ़ी चढ़ रहा है "शर्मा" !!✒️✒️✒️

"मेरी मंज़िल"

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20 MAY 2023 AT 21:25

होठों पर मुस्कान दिल में अरमान,
हर पल पूछती हूं खुद से लाखों सवाल !
न जानें कब होगी तेरी मेरी मुलाकात,
मंजिल का मिलना आसान तो नहीं,
मगर"शर्मा" मुश्किल भी नहीं लगता ना!!

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2 APR 2023 AT 17:04

क्या मेरे प्रेम को महसूस किया है तुमने,
मेरा प्रेम और विश्वास अटूट है तुम पर,
हां मुझे खबर है दुनियां में तुम सबसे ज्यादा मुझसे ही प्रेम करते हों माँ,
और "शर्मा" कभी भी आपके यकीन को नहीं गिरने देगी "माँ" !!

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2 APR 2023 AT 16:52

कैसे भूल जाऊं उन गलियों को,
जिसमे ये दिल खोया रहा!
ढूंढते रहे हम उसको,
ना वो हमे मिल रहा!
मोहब्बत क्या करेंगे हम किसी से बिना दिल के,
हाँ जिस्म तो है, मगर ये राख बन रहा!
क्यूँ पुकारती है तेरे शहर की गलियाँ मुझे,
शमशान तो हर शहर में बन रहा !!

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19 MAR 2023 AT 20:55

मेरे खुदा ने तेरा मेरा मुकद्दर लिखा है,
तेरा ईमान, तेरी आबरू मुझे कहा है !
मुनासिब है मेरा गुरूर करना भी,
क्योंकि तू मेरे दिलों दिमाग़ में बसा है !
मांग का सिंदूर तुम्हें बनना ही होगा ,
एक दिन तेरा और मेरा "जु़हूर" "शर्मा" जरूर होगा!!

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19 MAR 2023 AT 20:39

आहिस्ता से कुछ कह जाती है कानों में,
पास आकर धीमे से हवा चूम लेती हैं माथे को, सहलाती ही मेरे गेसूओं को,
ढलता हुआ सूर्य रंग देता है मेरे चेहरे को,
और कभी कभी आने वाली बारिश की बूंदे याद दिलाती हैं तेरी "शर्मा" !!

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2 MAR 2023 AT 19:37

मूँद कर आँखे यत्र तत्र सर्वत्र तुझे पाऊँ,बादलों के रथ में बैठ कर चंदा तुझे बुलाऊं !!
हर पल तुझे सोच कर मधुर संगीत गुनगुनाऊं, घुँघरु पैरो में पहन कर, तेरे संग रास रचाऊ !!
गर हो जाए तेरा दीदार तो सिर्फ़ तुझसे ही मिलना चाहूँ, तुझे अंजन सा आंखो में लगा, अपने नैनों में बसाऊं!!
अ मेरे साँवरे मैं (कल्पना)तुझे अपना प्रीतम बुलाऊं, सिर्फ़ तेरे चरणों में ही जीवन बिताऊं !!

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