हो जाती हूं मंत्रमुग्ध, जब गाय का नन्हा बच्चा दिखता है,
ना रोक पाऊं ख़ुद को वो अपना सा लगता हैं !
जमाने की बंदिशों को नजरअंदाज कर,
उसे प्यार करने में "कल्पना"को जीवन का सबसे बड़ा सुकून मिलता हैं!-
सौंप दी है दिल की बागड़ोर तुझे,
तू जहां चले मैं आँखें मूँद कर चलूँ,
मुझे जिंदगी का हर सफ़र "शर्मा"तेरे संग करना है!!-
इतना तुम में गुम होने लगी हूं,
ख़ुद को भी भूल जाने लगी हूं !
इस तरह समाने लगे हो तुम मुझमें,
दर्पण में ख़ुद को देखूं
"रितेश जी" तस्वीर तेरी सम्मुख पाने लगी हूं!!-
सारे घावों को मरहम मिल जाना है,
"शर्मा जी " एक गुलाब लाना, बस थोड़ा झुक जाना !!-
मोहब्बत का पहला गुलाब लेकर आया हूँ,
इज़हार में 'हाँ' का जवाब लेकर आया हूँ !
'क्या' कुबूल है तुम्हें मेरा इश्क ?
अ-जा-नसी बड़ी हसरत से "शर्मा" दिल ये लेकर आया हूँ!!-
"बाई सा रा बीरा"
म्हारे माथे री बिंदिया थे हो,
म्हारे नैणा रो काजल थे हो,
म्हारे होंठा री लाली थे हो,
म्हारे मंडे रो हार थे हो,
म्हारी कमर री तगड़ी थे हो,
म्हारे पैरा री बिछिया थे हो,
म्हारे नाक की नथिया थे हो,
म्हारी हर धडकन में थे हो !
म्हारे जीवन रा हीरा थे हो,
म्हारे सात जन्म रे साथी थे हो,
म्हारे सोला सिंगार थे हो,
म्हारी "बाई सा रा बीरा" म्हारे हर लहज़े में थे हो !!
-
ये कहता है जमाना,
मगर जमाने को जमाने से जाना,
"कल्पना" को इतना समझ आया,
दाव-पेचों के जमाने का है ज़माना!!-
गुस्ताख़ी कोई हो, मुआफ़ करना तुम,
हर लम्हे मेरे दिल के पास रहना तुम !
कोरा कागज़ हैं तेरी "कल्पना",
कलम से साबित होना तुम (रितेश जी) !!
-
नज़रों की नजरों से बातें हो गईं,
"रितेश जी" जी नज़रों ही नजरों में "शर्मा" तेरी हो गई!!-
तेरी अटखेली करना पसंद है मुझे,
तेरी नर्गिस सी आँखें पसंद है मुझे !
तेरी हर अदा का कायल है ये दिल,
तेरी (रितेश जी) एक मुस्कुराहट से "कल्पना" का घायल है ये दिल !!
-