Kalpana Bhagat   (Kalpana Bhagat)
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Joined 3 May 2025


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5 HOURS AGO

जानते हो! एक गलती आजकल मैं हर रोज करती हूं,
तुम्हें जब लिखने बैठूं, मैं आँखें अपनी नम रखती हूं।

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6 HOURS AGO

दर दर मैं भटकती रहीं,
कही न मुझको समझा गया।।
जहां वफ़ा की उम्मीद थी मुझे,
मुझे वहां से भी बेदखल किया गया।।

मन चंचल था मिरा इतना की,
तेरी बेवफ़ाई को भी समझ न सका,
सासें टूटी अश्क बहते रह गये,
मोहब्बत को मोहब्बत न मिला।।

(Read in caption)

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16 SEP AT 20:46

यूं तो शिकायतों का एक लंबा चिट्ठा बना कर रखा है मैंने,
तुम एक दफ़ा मुझे मना लो तो सारा हिसाब ही बिगड़ जाए।

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15 SEP AT 20:33

सुना है लोग दिल पर हाथ रख कर
एक दूसरे की धड़कनों को महसूस कर लेते है

तो अगर कोई आपके दिल पर,
पैर रखने की गुस्ताखी करे तो???

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15 SEP AT 13:46

कुछ लड़कियां तीस की उमर में भी बच्चों सा बर्ताव करती है,
ऐसा है कि उनका बचपन उनकी मर्ज़ी के बग़ैर छिन ली जाती है।

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13 SEP AT 22:00

यूं तो आजकल हर रात गुजरती है मेरी किसी दिन की तरह,
इस तरह जागना मेरा कोई लाइलाज बीमारी तो नहीं??

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13 SEP AT 8:23

ख़ाक बराबर लगती है तुम्हारी ये शोहरत मुझे,
तुम्हारे अदब तहज़ीब को खाकर जो बैठी है।

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12 SEP AT 15:28

तुम न आते तो अच्छा होता,
हमें न हंसाते तो अच्छा होता,
ज़ख्मों को हरा करके उनपर,
नमक न लगाते तो अच्छा होता।

और वो कहता मुझसे....

बातों से तुम्हें हंसाना अच्छा है,
हंसा कर रुलाना और अच्छा है।
तेरे ज़ख्मों का मैं हकीम नहीं,
कांटों पर चलना तेरा अच्छा है।

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3 SEP AT 1:08

जहां भी जाना है आप बेफिक्र होकर जाइए,
जहां से जाना है बस वहां वज़ह छोड़ जाइए।

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1 SEP AT 12:15

जब तुम साथ होते हो ना,मैं भी बेफिक्र हो जाती हूं,
तुम जो दीपक बन जाते,मैं भी रोशनी हो जाती हूं।

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