Kalandu Kashyap   (KASHYAP)
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Joined 10 March 2018


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Joined 10 March 2018
17 NOV 2022 AT 7:27

उसके गुड मॉर्निंग की आदत हो गयी है
मुश्किल था पर अब उससे मोहब्बत हो गयी है

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8 NOV 2022 AT 6:07

ज़िन्दगी के उलझनों में ही मेरा बसेरा हो गया
आज फिर सोचते सोचते ही देखो सवेरा हो गया

अपनी मनोव्यथा, मैं न किसी से बोल पाया
गांठ जो पड़ गयी है, मैं न वो खोल पाया
सुलझाने की आस में, मैं तो और उलझ गया
थक गया हूँ मैं अब, बदल बदल कर रास्ता नया

माथे पर सिकुडन फिर से आ बैठी है
न होता कभी अकेला चिंता संग मेरे लेटी है
आंखों के नीचे मानो काला घेरा बन बैठा है
और लोग कहते तू इतना खुश कैसे रहता है

अपनी मनोदशा को कैसे आयाम दूँ
कुछ ऐसा हो कि मैं खुद को सम्मान दूँ !!

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6 AUG 2022 AT 14:25

लाइफ बुरी नही थी हमने बना दिया
खुद के सपनो में खुद ही आग लगा दिया

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14 MAY 2022 AT 23:02

उनको हम याद भी नही आते
जिनको हम खुद से ज्यादा चाहते

उनको हम याद भी नही आते
जिनको याद करते करते हम सो जाते

उनको थोड़ा भी याद नही आते हम
जिनकी खैरियत मनाने में हम दिन बिताते

भला उनको कैसे हम याद नही आते
जिनके एक झलक को हम घंटो बिताते

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14 MAY 2022 AT 22:57

उनको हम याद भी नही आते
जिनको याद किया बिना हम सो भी नही पाते

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12 MAY 2022 AT 6:11

ये इश्क़ तो पड़ना ही था फीका
वो गुड़ सी मीठी मैं करेले सा तीखा

वो जब बोलती तो फूल झड़ते थे
मैं कुछ कहता तो हम बस लड़ते थे
उसकी हर बात को मैं मान जाता था
अपनी बातों से बस मैं ही मुह की खाता था

उसकी बातों में तो मानो जादू था
सुनकर मेरे दिल पर होता कहाँ मेरा काबू था
मैं कुछ कहता तो उसको कहाँ पसंद आता था
कहती वो तुम तो बड़े डरते हो
गिरगिट की तरह पल भर में रंग बदलते हो

उसको मेरे संकीर्णता से चाहिए आजादी थी
मैं एक पुराना जंग लगा ताला
और वो उस ताले की एक मात्र चाभी थी
मैं उसका एक अदना सा गुलाम
और वो उस रियासत की नवाबजादी थी

मेरे संग उसे इनसिक्योर फील होता था
उसके मैसेज के इंतज़ार में मैं रात रात भर न सोता था
उसको पीटना नही फिजूल का ढिंढोरा था
वो सुंदर सुशील थी जिसका रंग भी गोरा था
ढेर सारे दोस्त थे उसके काबिल सारे के सारे यार थे
एक हम ही तो थे जो उसकी नजर में जाहिल गवार थे

परियों सी सूरत वाली वो एक हसीन वादी थी
गलतफहमी थी मेरे दोस्तों की जो वो लगती उनको भाभी थी

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9 MAY 2022 AT 3:03

कभी तो हमे भी hii बोल दिया करो
इंतज़ार में रहता हूँ तुम्हारे इतना तो मोल दिया करो

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9 MAY 2022 AT 2:58

हर किसी की ज़िंदगी कहाँ खूबसूरत है
ढूंढ रहा हर कोई जो उसकी जरूरत है
किसी को भोजन की तलाश है
किसी की न बुझ रही धन की प्यास है

सारी धन दौलत जिसके पास है
उससे पूछो वो भी बैठा उदास है
वहां पता चलेगा समय कितना खास है
अकेली जिंदगी उसकी बनी बकवास है

कोई जिंदगी में खुशी की तलाश में
मयखाने की ओर जा रहा
तो कोई आशाओं का पहाड़ सजा रहा
ये आशाएं भी एक दिन टूट ही जाती है
ये ज़ालिम जिंदगी है किसी का साथ कहाँ निभाती है

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9 MAY 2022 AT 2:55

मैंने शायद कभी कहा नही पर तुम दिल मे बसती हो
बड़ी प्यार लगती हो जब तुम खुल कर हसती हो

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9 MAY 2022 AT 2:50

औरों की सूरत भूल जाया करता हूँ
तुमसे एक तरफ़ा इश्क़ मै बड़े अदब से निभाया करता हूँ

तुम्हारे ऑनलाइन आने का मैं इंतज़ार करता हूँ
प्यार के सारे अफ़साने लिख कर बैक दबाया करता हूं
तुम्हारी सारी गुस्ताखी की माफी मिल जाया करती है
मेरी धड़कने भी तुम्हारी दलील ही सुनाया करती है

तुम्हारे गुस्से का भी दिल मेरा हकदार बनना चाहता है
कहता मुझसे डांट भी तो वही खाता जो दिल लगाता है
तुम्हारी हर ख्वाहिश के लिए ये खुदा से दुआएं करता है
तुम दूर न हो इसलिए तुम्हारे पास जाने से डरता है

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