मोबाइल तुमने कितना कुछ मुझसे छीन लिया।
समय देखने को घड़ी अब मैं नहीं बांधता
तारीख देखने को कैलेंडर अब मैं नहीं रखता
चिट्ठी लिखने को कागज कलम अब नहीं उठाता
भावनाएं बांटने को साथ भाई बंधु दोस्त के साथ नहीं बैठता
सुविधा तुमने मुझे बहुत दी पर तुमने मुझे मेरा समय सुख चैन छीन लिया।
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एक चित्रकार हूं
कागज पर बहुत से रंग उतारे है।
इंद्रधनुष के सात रंग
सूर्योदय के लालिमा के रंग
रात की चांदनी के उजायरे रंग
शीत ऋतु के धुंधले रंग
वसंत ऋतु के सरसों के सुनहले रंग
ग्रीष्म के चटकीले रंग
सावन के हरियाले रंग
त्योहारों के हर्षोल्लास के रंग
नवजात शिशु के प्रथम बार छूने के खुशी के
कभी एक पिता के पहले उसके बेटे जाने के शोक के
फौजी के सीमा पर खून से लहूलुहान रंग
यूं तो मैंने बहुत से रंग उतारें है कागज पर
किस किसको बयान करूं कहना मुश्किल
मैंने कागज पर उतारी है ज़िंदगी।-
सपने ज़िंदगी जीने का हौसला देते हैं
मुश्किल हो सफर तो रास्तों का पता देते हैं
यूं तो हजारों तकलीफें आती है राहों में
सपने देखते रहो तो आगे बढ़ने की चाह रहती हैं।
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जीवन में एक कृष्ण होना आवश्यक हैं।
कृष्ण जो राधा के साथ प्रेम सिखाए।
कृष्ण जो रुक्मिणी से गृहस्थी निभाए।
गोपियों संग रासलीला रचाए।
सुदामा संग मित्रता निभाए।
जीवन पथ पर जब दु:शासन समक्ष हो
द्रोपदी की लाज बचाए।
जीवन की रणभूमि में अर्जुन के
सारथी जैसे गीतासार सुनाए।
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जीवन जीने के लिए ये समझना जरूरी है कि आप खुद में एक व्यक्तित्व हैं। आप खुद में एक पहचान हैं, भगवान ने कुछ भी बेकार नहीं बनाया।
किसान और सुनार दोनों की अलग जगह हैं। सोना पेट की अग्नि को शांत नहीं कर सकता, उसके लिए अन्न ही चाहिए।
जीवन में अगर कोई आपसे अलग है तो उसे कम ना आंके। हर कार्य के लिए किसी न किसी की आवश्यकता होती हैं।
कोई आपसे सामाजिक या किसी भी दृष्टि से कम है तो एक शिक्षक के रूप में ये सभी शिक्षकों की नैतिक ज़िम्मेदारी हैं कि आप हर व्यक्ति को उसके होने की महत्ता सिखाए और बताए।
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सुनो ना
ज़िंदगी के इस सफर में
हमेशा खिड़की वाली जगह देखना
जहां से दिखते हो खुले नजारे
पर्वत बादल आसमान में उड़ते पंछी
आती हो बारिश की बूंदें भिगाने
दिखती हो खेत खलिहानों की हरियाली
जहां से आती हो सूरज की पहली किरण
रात को पूनम के चांद की चांदनी
सुनो तुम इस सफर में
खिड़की वाली जगह चुनना-
बीते हुए कल की यादों
और आने वाले कल की चिंता में
कुछ इस कदर डूब जाते है
महसूस ही नहीं कर पाते कि
आज को कहीं खो रहे हैं।-
प्यारे बच्चों,
संभालकर रखें अपनी भावनाओं को
जीवन में स्थायी लोगों के लिए।
जो कदर करे आपके भावनाओं की।
अपनी भावनाओं को अस्थायी लोगों पर व्यर्थ न करें।
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बहुत धीमी आंच में पकाया जाना चाहिए
आंच तेज हो तो जल ही जाते हैं
क्या संबंध क्या पकवान।-
कच्चा घर देखकर किसी से रिश्ता मत तोड़िए।
तजुर्बा है बुजुर्गों का कि
मिट्टी की पकड़ अक्सर मजबूत होती हैं।
संगमरमर पर तो अक्सर पैर फिसला करते हैं।-