अब की जब आना तो थोड़ी फ़ुरसत में आना
हमारे लिए कुछ पहर निकाल कर आना
कुछ बाते रह गयीं थी जो अधूरी
उन बातों को पूरा कर के जाना
अब की जब आना तो थोड़ी फ़ुरसत में आना
कुछ सबाब प्यार का ,कुछ उमंग प्यार की
जो रह गयी थी खनक तुम्हारी मुस्कान की
उस मुस्कान को भी साथ में लेकर आना
अब की जब आना तो थोड़ी फ़ुरसत में आना
एक कहानी अधूरी हमारे प्यार की
जो अधूरी दास्तान उस शाम की
जो भी हाथ लगे इनमें से वो लेते आना
अब की जब आना तो थोड़ी फ़ुरसत से आना
वो जज़्बात जो पहली मुलाक़ात में था
उस जज़्बात को इस मुलाक़ात के साथ लेकर आना
ज़्यादा नहीं मांग रही कुछ
अब की जब आओ तो साथ ज़िंदगी भर का लेकर आना
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