बस थोड़ी सी दूर दिखाई देती हैं मंजिल अब भरपुर दिखाई देती है अब तो मंजिल तक जाना ही मकसद हैं ज़िद करना, ज़िद को पाना ही मकसद हैं हो पथ काटों वाला या पथरीला हो विजय पताका फहराना ही मेरा मकसद है बाधाओं से फ़िर कैसा डरना यारों हर बाधा का हल हो अपने हाथ मे जब.... करना है, कर लेंगे, कर सकते है अपनी तो बस यही ज़िद है, हर हाल में अब बस थोड़ी सी दूर दिखाई देती हैं, मंजिल अब भरपुर दिखाई देती है।।
"जब मनुष्य अपनी भावनाओं से प्रेरित होकर काम करता है तो उसके जुनून की एक सीमा होती है, परंतु जब वह कल्पना से प्रेरित होकर काम करता है तो उसके जुनून की कोई सीमा नहीं होती "!