कभी खुशी तो कभी गम दिखाती हैं
कभी किसी की नमियत तो कभी कड़वाहट दिखाती हैं
किसी अंजान की खिलखिलाहट तो कभी गुमसुमियत दिखाती है
कभी अपनो के चेहरे की मासूमियत तो कभी हैवानियत दिखाती है......
सच ही कहा हैं ये आंखें क्या क्या ना दिखाती हैं-
कितना अजीब हैं न ,
एक रिस्ते को बनाने के लिए
एक रिस्ते को तोड़ना...!!-
उससे जुड़ी हर बात को
अब भुलाना चाहती हूं।
उससे जुड़ी हर याद
अब मिटाना चाहती हूं।
बदलते वक्त के साथ
अब मैं भी बदलना चाहती हूं।
बहुत हुआ ये याद ये फ़रयाद
अब खुद को आजाद करना चाहती हूं।
बहुत दिन पुराने बीत गए
अब कुछ नया करना चाहती हूं।
उन लम्हो में ना जीकर
अब एक नई याद बनाना चाहती हूं।
बहुत हुआ मेरा तुम्हारा किस्सा
अब खुद की कहानी लिखना चाहती हूँ।
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हर कहानी की सुरुआत एक अच्छी बातों से होती हैं,
वो बात अलग है खत्म लड़ाई झगड़ो पे होती हैं..!!-
हम जितना सोचते हैं न अकेले रह लेंगे,
क्या हो जाएगा मर थोड़ी ना जाएंगे
लेकिन उस अकेलेपन में जब वो
सारी बातें याद आती हैं न
कसम से ,पूरा आंख आंसूओ से भर जाती है,
ऐसा लगता हैं, अब हिम्मत नहीं
वो बातें ऐसे याद आती हैं जैसे कल ही हुई हो,
दिन महीने सब बितते जाते हैं, लेकिन ये याद
भुलाई ही नहीं जाती हैं...उस अकेलेपन में
वो सब बातें याद आ ही जाती है...!
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तो बोल देते पहले ही ,
ये क्या मेरी गैरमौजूदगी में मुझे पराया बना दिया,
जब सब बातें पहले ही जानते थे,तो फालतू का मुझे क्यों फसाया,
क्यों मुझे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया,
और क्यों एक पल में वो सब भुला दिया
हा माना मैने भरोसा कुछ ज्यादा ही कर लिया था,
लेकिन तुमने मुझे कभी आगाँ क्यों नहीं किया,
और अलविदा ही कहना था तो सीधे सीधे बोल देते,
ये प्यार से दोस्ती का नाटक क्यों शूरु कर दिया
दोस्ती तो तुम्हे कभी रास ही नहीं आती थी,
ये अचानक उस प्यार को दोस्ती कहना क्यों शुरू किया...!!
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एक वक्त था जब उसकी परछाइयों से भी बातें किया करती थी,
अब उसके बारे में सोचना भी गलत ही लगता हैं,
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मैं कितनी भी कोशिश कर लूं दूर जाने की उनसे,
ये दिल हैं कि दूर जाना ही नहीं चाहता...!!-
उन लम्हो में बहुत कुछ खोई बहुत से सबक भी मिले,
कुछ लम्हो को अल्फाजों में बयां भी की और
कुछ लम्हें बस यादे बनकर भी दब गई,
बहुत सी खुशिया देखी कुछ लोगो की नाराजगिया भी देखी,
नए नए दोस्तों से भी मिली कुछ पुराने दोस्त भी खोये...!!
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