सोचा भागम -भाग मै ठहरूं जरा
ठहरते ही विचारों से झुंझला पड़ा ।
विचार सवाल बन सामने खड़ा
ये अंबर की बूंद, नदियों की धार भी
हर मोड़ पर मुड़तीं
तो मंजिल तक कैसे पहुंचती?
ठहरने में ठहराव कहाँ
इस भागम - भाग में अगर गुम हो जाऊं
तो फिर खुद को खोजूं कहाँ ।
- काजल लोधी
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माँ
खुशियाँ फूलों की तरह चुन -चुन कर लाती है।
अपने काँटों वाले घाव कहाँ बतलाती है।।
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हर किसी के तजुर्बे अलग है
हर तजुर्बे के अंदाज अलग है।
हर अंदाज के नजरिए अलग है
हर नजरिए के पहलू अलग है
हर पहलू की कहानी अलग है
हर कहानी के तात्पर्य अलग है
हर तात्पर्य के उद्देश्य अलग है
हर उद्देश्य के भाव अलग है
हर भाव की कल्पना अलग है
हर कल्पना का यथार्थ अलग है
काजल लोधी
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कोई द्रौपदी के चीर हरण को महाभारत का कारण बतलाता है।
कोई द्रौपदी की व्यंग बाणी को दोषी ठहराता है।
कोई हक की लड़ाई को महाभारत बतलाता है।
कोई राजगद्दी के लालच को बंश विनाश का दोषी ठहराता है।
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सबके अंदर समंदर किताबों सा
बाहर सब पंक्तियों मैं भी गुमशुदा।
कृत्रिमता का प्रविचेतन की अंतर्मन की आवाज नहीं
अंतर्मुखी जैसे सबका रुझान सा !
-काजल लोधी
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मम्मी- पापा
❤️
इन शब्दों में ही ना जाने कैसा सुकुन है।
इनके प्यार को शब्दों में बयां करना नामुमकिन है।-
नैतिकता के बिना
ज्ञान अधूरा रह जाता है
आत्मसम्मान के बिना।
ज्ञान अधूरा रह जाता है।
इंसानियत के बिना।
ज्ञान अधूरा रह जाता है
कृतज्ञता के बिना ।
ज्ञान अधूरा रह जाता है।
दया भाव के बिना।
ज्ञान अधूरा रह जाता है
आत्मविश्वास के बिना।
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|आज का सुविचार|
विचार ही उलझाते है।
विचार ही सुलझाते है।
विचारों की ही टकरार है।
विचारों की ही दोस्तियां बरकरार है।
विचारों से ही कोई दानव है।
विचारों से ही कोई मानव है।
अपने विचारो पर करे विचार
आज का यही है सुविचार।😊🙏
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हर पन्ने की भी अपनी कसमकश है।
उस पर क्या लिखा जाएगा।
रंगों से सजाया जाएगा।
या फिर यूहीं फाड़ के आग मै जलाया जाएगा।
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