EXPECTATIONS तुम रखो तो थोड़ी मुझे भी रखने देना...
नाराज़ तुम हो,तो ज़ाहिर मुझे भी करने देना!!
रूठ जाओ कभी,तो मना लूंगी मैं,
बस रुठने का मौका मेरे पास भी रहने देना!!
दोस्ती के रिश्ते यु ही खत्म नहीं होते.....
एसी भी नाराज़गी क्या जो दोस्ती भुलाए बैठे हो????
दोस्ती थी भी या दोस्ती की चादर ओढ़ाएं बैठे हो?????
कहते हैं जहाँ दोस्ती होती हैं,
वहा नाराज़गी की कोई जगह नहीं होती!!
EGO OR SELF-RESPECT के साथ तो रोज ही जीना हैं,
वो जीना भी क्या जीना जो दोस्तों के बगैर जीना हैं!!
भूल कर सारे शिकवे गिले आओ एक काम करते हैं,
फिर से दोस्ती की एक नयी शुरुआत करते हैं....
-