With you,
I'm alive-
मुस्कुराने को सादगी लिखते है
दिल लगाने को आशिकी लिखते है
तेरी हर अदा पर हम आज भी लिखते है
और
लिखते है हम जबभी "लफ्ज़_ए_इश्क़"
तब हम तेरा नाम भी लिखते है-
पेहचान लिख दो कुछ यूँ मेरी,
की उसकी झलक दिख जाए...
मेरी दीवार पर लिख दो कहानी उसकी,
की दूर तलक़ दिख जाए....-
ये जो हम धीमे धीमे बिखर रहे हैं
सच कहूं तो तुझमें ही तो सिमट रहे हैं-
Na hum kisi ke,
Na hamara hai koi...
Raah me jo chal pade,
Ab na sahara hai koi...
Hath thame hue,
apni hi pareshaniyo ke...
Na akele hai ab hum,
na sath me hai koi...
Ab na hum kisi ke hai,
Or na hamara hai koi...-
"आवारा हूँ मैं"
आज-कल
दरबदर जो भटक रहे !
तुम्हारे तलबगार बने...
लिख दो ये भी की
"राज़दार हूँ मैं"
अब जो
दफन कर चले !
बेवफाई के राज़ तेरे...-
जिस्म की प्यास को पयार का नाम देकर
तुने प्यार से भरोसा उठा दिया,
ऎ बेवफा, देख तो ज़रा
तुने मुझे क्या से क्या बना दिया...-
एक ख्वाब सा हो गया,
और इस ख्वाब के लिए
मैं बर्बाद सा हो गया...-
काशाना बना रहे थे, हम अपने प्यार का...
और वो बागीचा सज़ा रहे थे, किसी और के इज़हार का...-