वक्त से लड़कर ये नसीब बदलने चली हूं,
तकदीर की एक नई तस्वीर बदलने चली हूं,
आज का रख के ख्याल, मैं कल की फिक्र छोड़ चली हूं।
यूं तो मोड़ कई है जिंदगी के इन रास्तो पर,
अब किसी मोड़ पर एक नई जिंदगी से मुलाकात की,
उम्मीद ले चली हूं,
मैं खुद पर ऐतबार रख, अब आगे बढ़ चली हूं।-
Dr.Kajal Asnani⚕️
कितने सालों में किस्मत आखिर हम पर मुस्कुराई है,
अंधेरी सी रात में आज रोशनी जगमगाई है,
रुसवा थे हम एक अरसे से,
उस जिंदगी ने आज एक नई किस्मत बनाई है।
जिंदगी की इनायत का एतबार करो,
जिस वक्त की ख्वाहिश है उसका इंतजार करो,
यूं तो कश्ती में सवार है, हम भी तुम भी,
तो क्यों ना रूहानियत से इस जिंदगी की नई सहेर का इंतजार करें।-
🕊️
सिलसिलो का सिलसिला नई राह है दर्शाता,
मुकम्मल होती मंजिल के कुछ हर्फ है बताता,
इख्तियार का एक कतरा, जुस्तजू को है बढ़ाता,
हयात के इस फितूर से क्या राही है जीत पाता?-
"एक टुकड़ा आसमान"
चाहतों से अलग एक रास्ता चुन लिया है,
उस अंबर का एक टुकड़ा मैंने भी चुरा लिया है,
जिसे अपना कहने की ख्वाहिश बरसों से थी,
उस आसमान को मैंने आज अपना बना लिया है।
यूं तो तकता है आसमान को तू भी , मैं भी,
पर इसे पाने की शिद्दत सब में तो नहीं,
परिंदों से अब उड़ान का ये मुकाबला है,
आकाश में ऊंचा बस उड़ते ही जाना है,
आसमान की पहुंच कहीं छूट न जाए,
ज़मीं से नजर कहीं छूट न जाए,
इसी के साथ इस कारवां को बढ़ाते जाना है।-
क्या हुआ गर थोड़ी कमी रह जाती है,
उन हस्ती हुई आंखों में थोड़ी नमी रह जाती है,
ख्वाबों को मुकम्मल करने की ख्वाइश कुछ अधूरी सी रह जाती है जब,
आशाओं भरी जीवन की नायाब डोर, छुट्टी हुई नजर आती है,
जब कुछ रेत सा यूं फिसल जाता है,
हयात के कुछ असरार दिल में रह जाते हैं,
कुछ पूरा हो जाता है,
कुछ मुकम्मल होने की चाहत में छुपा रह जाता है,
सवाल कई है चेहरे पर, फिर भी मुस्कुराहटे हैं,
तोड़ दे चट्टान को , हौसलों में अभी वो हिम्मत बाकी है,
ना गुरूर है ताकत का, ना कामियों की शिकायते है,
इस कारवां में बस उम्मीदें ही बाकी है।-
कोई जल कर बन जाएं, कोई जल कर मीट जाएं,
आग आग की बात है।
इसी को हम हसीन दिखे, किसी को हम बदसूरत,
आंख आंख की बात है।
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FATHER'S DAY
उम्र का एक अरसा फिक्र में गुजर जाता है,
जिक्र तो बस फर्ज का किया जाता है,
मां के प्यार से भरे बच्चे के इस बचपन में,
पिता का पसीना तो अनदेखा ही रह जाता है,
रोटी, कपड़ा, मकान, खेल के खिलौने जैसी ख्वाहिशों का
खयाल में भी है ख्याल रखते,
बच्चों के बचपन को तो तस्वीरों में ही जी पाते हैं,
टूटते बनते हर ख्वाब पर हिम्मत और विश्वास की आस दिलाते,
घर और दुनिया के बीच की इस फौलादी दीवार को
हम "पापा" है बुलाते,
पिता के एहसानों का ये कर्ज बस फर्ज बन कर रह जाता है,
जो जीवन भर साथ निभाए पिता ही वो "सारथी" कहलाता है।-
I'll try but can't promise!
Is it OPTIMISTIC or PESSIMISTIC or just the difference of PERSPECTIVES?-
ए जिंदगी थोड़ी सी मुझे नुमाइश है,
मेरी खुद ही खुद से ये आजमाइश है,
जैसे सवेरा होने के लिए सूरज की किरण चाहिए,
जैसे सफलता के लिए परीक्षा का परिणाम चाहिए,
वैसे ही जिंदगी के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए,
बस थोड़ी सी उम्मीद चाहिए।
ये उम्मीद का सिलसिला रफ्तार ए वक्त के साथ यूं ही बढ़ता रहे,
ए जिंदगी मेरी बस इतनी सी तुझसे फरमाइश है।-