हम जो चाहते थे वह लोग नहीं चाहते थे
हम कोशिश करते रहे।
लोग चाहते थे कि यह कुछ ना करें
जब शांत हो गए
हमे बर्बाद करके तो लोगों की खुशी का ठिकाना ना रहा
मगर उन्हें क्या पता था वह शांति दुनिया में बहुत महान थी।-
जो आपके जाने के बाद भी आपके होने के स्थायित्... read more
मेरी चाहतों में तुम दूर नहीं थी
बस जिम्मेदारी को निभाने के लिए कुछ फासले थे-
थोड़ी सी कसक रह गई
मेरे मुकम्मल को पाने में
यह जात पात के बंधन
मेरे अंतर्मन को क्या जाने
छोटी सी जिंदगी मे
न जाने कितने अफसाने|-
आज के राजनीतिक चेहरों के चक्कर में
आम कार्यकर्ता का जीवन बर्बाद हो जाता है
ना कैडर करके, ना गांव गांव, ना गली-गली यह जाते हैं
महंगी गाड़ियों में बैठकर, कागजों में मिशन चलाते हैं
महापुरुषों के मिशन को, स्वार्थ में बर्बाद करते जाते हैं
चमचागिरी ने लोकतंत्र का महत्व खत्म कर दिया हैं
ठेकेदारों कि इस प्रथा ने, समाज में मिशन का महत्व खत्म कर दिया|
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राजनीति में चुनाव का दौर भी बड़ा अजीब है,
ना तो दोस्तों का पता चलता है और ना दुश्मनों का|
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राजनीति के मंच पर दुनिया को लड़ाने वाले एक साथ खड़े मिलते हैं,
और एक आम आदमी का इन सब के चक्कर में भाईचारा भी खत्म हो जाता है|
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गद्दार जश्न में डूबे हैं
खुद्दार मंथन कर रहे,
मर गया जमीर जिसका
वह उपहास उड़ाते फिर रहे ,
ऐसे लोग ना कल समाज के थे
ना आज समाज के हैं,
अपनों को कोसने वाले
कुछ गद्दार समाज के है|-
जिसके लिए अपना सब कुछ गवा दिया
उसने जरा भी सुद ना ली
हम भी अफसोस क्यों करें और रोए किसके लिए
जब मेरे हमदर्द ने ही मेरी खैरियत तक ना पूछी|
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