#ऑपरेशन_सिंदूर
आज देखो कैसा उठ रहा सरहद पार यह तूफान,
बंकरो में जा, छुप बैठे हैं पाकिस्तान के हुक्मरान,
ना शाहबाज दिखाई दे रहा, ना कहीं मुल्ला मुनीर,
गली मुहल्ले पाकिस्तानी कोस रहे अपनी तकदीर।
कुछ याद करो तुमही थे तुमने पढ़वाया था कलमा,
पेंट उतरवा तुमही पूछे थे अपना धर्म बतलाओ ना,
अब हुई तुम्हारी पेंट गीली, क्यों भागे-2 फिरते हो,
अपने आका चीन का अंडरवियर उठाये फिरते हो।
पेशावर, इस्लामाबाद कराची पर की थी भारी चोट,
दिवाली-पटाखे सा जल रहा, लाहौर व सियालकोट,
सरगोधा में नापाक इरादों के, हमने उड़ाए परखच्चे,
याद रखेंगे युगों तक, हे पाकिस्तानियों तुम्हारे बच्चे।
जोश में है हिंद की सेना, पाक हुआ है, धुआं धुआं,
हर ओर शोर मचा हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर' है ये क्या,
मां-बहनो के सिंदूर छीनने का साहस न कर पाएगा,
जलते आतंकियों का ठिकाना, फौरन याद आएगा।
"ऑपरेशन सिंदूर" की कहानी घर घर दोहराई जाएगी,
हिंद की सेना तेरी शौर्य की कहानी बरसों याद आएगी,
हे हिंद के रणबांकुरो देखा है तुम्हारा अतुलनीय साहस,
पूरे विश्व को दिखा दिया क्यों तुम पर है इतना विश्वास।-
मैनें खुद को बुलंद किया है कुछ इस कदर ...!!
नव वर्ष क्या आया, खुशियां हजार लाया
ऐसा लगा जहन में खुशियों ने घर बसाया
बीत चुकी है अब तो इस साल की आखिरी रात
दस्तक दे रहा है दर पर नया साल फिर एक बार,
हैं दुआऐं यारो, मुबारक हो सबको... नया साल,
दे खुशियाँ हजारों सबको नया साल बार बार...!!
सभी साथियों... दोस्तों... मित्रों को:
नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं💐💐-
कैसे भूल जाउं वह हंसी रात भीगा था,
ले तेरे हाथों को हाथ,
याद है वह घनघोर बरसात... ऊपर से काली रात,
काश वो घड़ी आ जाए फिर से इस बरसात
आज की रात,
एक बार फिर से भीगूं मैं,
भीगता रहूं ताजिंदगी तेरे साथ।-
चाहत थी तेरे साथ की,
इस जिंदगी मैं खुशियों की खातिर,
थाम कर हाथ... तुमने भी,
भर दिया दामन खुशियों से मेरा।-
तेरी यादों ने इस कदर भटकाया है आज सुबह से मेरा मन,
ले चल ऐ जिंदगी तू उस डगर, जहां यादों का साया ना हो।-
जब से मोहब्बत ने थामा है दामन-ऐ इश्क,
रुसवा हो गई है मोहब्बत... इन किताबों से-
चांद उतर आया है जमीं पे आज,
कितना खुदनसीब हूं यारा....
दो दो चांद है.... मेरे पास आज !-
मन गदगद हो जाता है देखकर,
शिकायतें भी दम तोड़ जाती हैं,
मुस्कान मुख पर आ ही जाती है,
देख कर मासूम सा.. चेहरा तेरा।
मजाल है तू गुनाहगार कहलाये,
बेशक तू करले... गुनाह हजारो,
काजी भी सोचेगा... हजार बार,
कैसे सजा दूं मासूमियत तुझको।-
विद्वेष जीवन में लगातार...
बढ़ा रहा असंतुलन,
प्रेम ही वह औषधि...
जिस पर टिका है संतुलन।-
सूरजमुखी सा प्रेम मेरा,
देखूँ सदा चेहरा तेरा,
चलू साथ-साथ तेरे,
जब तक रहे जीवन मेरा।-