मद्धम तीव्र घाम हुईतुम से भेंट कीकोशिशें तमाम हुई -
मद्धम तीव्र घाम हुईतुम से भेंट कीकोशिशें तमाम हुई
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प्रीत लगी जो प्रिये से, मिल अतल विश्रामज्यों तन तरु शीतल करे, तीव्र अति हो घाम -
प्रीत लगी जो प्रिये से, मिल अतल विश्रामज्यों तन तरु शीतल करे, तीव्र अति हो घाम
एक इंतजार लिए बैठे हैंप्रियतम से आया तार लिए बैठे हैंहोगी बात कभी तो इत्मिनान सेमन में बस ये विचार लिए बैठे हैं -
एक इंतजार लिए बैठे हैंप्रियतम से आया तार लिए बैठे हैंहोगी बात कभी तो इत्मिनान सेमन में बस ये विचार लिए बैठे हैं
मेघों की कालिमा भर लीतुमने अपने केशों मेंसम्मोहन की अति तीव्रतातुम्हारे नयनों के आदेशों मेंश्वेत छवि ने उन्मत्त होलांघ दी सब सीमाएंमुख की उज्जवलता समक्ष हृस्व दिखती लक्ष दीपशिखाएँ -
मेघों की कालिमा भर लीतुमने अपने केशों मेंसम्मोहन की अति तीव्रतातुम्हारे नयनों के आदेशों मेंश्वेत छवि ने उन्मत्त होलांघ दी सब सीमाएंमुख की उज्जवलता समक्ष हृस्व दिखती लक्ष दीपशिखाएँ
ये लाजवाब हुस्नये तिलस्मी नजरेंअथाह समुद्र मेंउफनती जुल्फों की लहरेंखुद को संभाल लूँइतना फनकार नहींडूबना ही बेहतर हैजाना मुझ को पार नहीं -
ये लाजवाब हुस्नये तिलस्मी नजरेंअथाह समुद्र मेंउफनती जुल्फों की लहरेंखुद को संभाल लूँइतना फनकार नहींडूबना ही बेहतर हैजाना मुझ को पार नहीं
पीड़ा के फाग मेंमैं स्वयं ही गला हूँविरह की आँच मेंएकांत के काँच मेंमैं स्वयं ही जला हूँ कुछ पल के नखलिस्तान मेंकृत्रिम से उद्यान में मैं स्वयं ही पला हूँ -
पीड़ा के फाग मेंमैं स्वयं ही गला हूँविरह की आँच मेंएकांत के काँच मेंमैं स्वयं ही जला हूँ कुछ पल के नखलिस्तान मेंकृत्रिम से उद्यान में मैं स्वयं ही पला हूँ
होली आई मोह की, इश्क़ का उड़े गुलालमन हिलोरे ले रहा, धड़कन की सुन ताल -
होली आई मोह की, इश्क़ का उड़े गुलालमन हिलोरे ले रहा, धड़कन की सुन ताल
इश्क़ के तोहफे में गुलाब दे रहा हूँजिंदगी भर के देखे ख्वाब दे रहा हूँ -
इश्क़ के तोहफे में गुलाब दे रहा हूँजिंदगी भर के देखे ख्वाब दे रहा हूँ
बहुत कुछ बदला हैजीने का तरीकाअहसासों की आबो-हवादिल का माहौलएक रूहानी अहसास हो तुमया ये कहे बहुत खास हो तुम -
बहुत कुछ बदला हैजीने का तरीकाअहसासों की आबो-हवादिल का माहौलएक रूहानी अहसास हो तुमया ये कहे बहुत खास हो तुम
शिखर की आस मेंनिस दिन टूटता हूँतमस की जंजीरों सेनित्य प्रतिदिन छूटता हूँ -
शिखर की आस मेंनिस दिन टूटता हूँतमस की जंजीरों सेनित्य प्रतिदिन छूटता हूँ