जिंदगी क्या है
कभी सब अच्छा सा लगता है
अगले ही पल सब बिखरा सा दिखाई पड़ता है
खुद पर ना जाने क्यों भरोसा नहीं लगता है
की क्या सच में मैं इस काबिल हूं जो जिमेदारी संभाल सकू
आस पास देखा तो जवाब मिला हां,,,लेकिन वहीं,,,लोगो से जाना तो नहीं
बहुत कमियां है मुझ में तभी हर चीज़ बिखरती सी दिख रही है
ना जानें कब,क्या,केसे,,मैं थक गई
मुझमें अब इतनी ताकत नहीं के
वापस पहले जैसा सब कर सकू
..
थकी भले ही हूं,,,टूटी नहीं हूं अभी
जब तक जान है अपनी हर कोशिश करूंगी के सब कुछ ,,,संभाल कर रख सकू।।।
अगर फिर भी मुझमें जो कमी है
तो मैं क्या करूं? मैं ऐसी ही हूं।।।।
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