Kabir Singh   (इश्क़ मज़हब रब चाय)
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Joined 27 June 2019


Joined 27 June 2019
31 DEC 2020 AT 23:05

"गुमनामी में ख़ुद जी रहा , पर राह भूलों का मैं नासिर हूँ ।
अँधेरे का मुसाफ़िर अँधेरे में जिया करता हूँ , अमावस्या काली रात का मैं वो एक क़ाफ़िर हूँ । "

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25 DEC 2020 AT 23:51

"Sometimes it becomes very difficult to get out of those dreams, which we often never forget." एक चाह अंनत की ...."

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29 NOV 2020 AT 20:10

"मैं नहीं , हां बस थोड़ा वक़्त ही ख़राब है ।
एक काफी उम्रदराज़ व्यक्ति की तरह हर रोज़ बस अकेले जीना ही सीख रहा हूँ ।"

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28 NOV 2020 AT 21:20

किस्मत से परे , मिला जो मुझमें ना था ।
वक़्त को संभाल रखा , मेरे वो अपना सा था ।।

बिछुड़ गया जो बेवक़्त , कहीं एक सपना सा था ।
जो देखा आँख खोल कर , ना कोई दूर-पास गम सा था ।।

मैं खड़ा शांत वहाँ , बिचलता जैसे एक मन सा था ।
कहना चाहता चिल्लाता सब कुछ , बेबस बस खुद्दार इंसान सा था ।।

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28 NOV 2020 AT 9:25

"लगा किनारे जो हाँथ मेरे , वो मेरी शख्शियत का एक पुराना बिछड़ा हिस्सा था ।
जो लगने लगा था अपना कभी , वो इश्क़ के खुले समंदर में एक वीरान पड़ा किस्सा था ।।"

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27 NOV 2020 AT 20:58

"जो पाना आसान हो , वो तख़्त क्या चीज़ है ।
वक़्त से लड़ जाना पड़े , ऐसा मुकम्मल इश्क़ चाहिए ।।"

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25 NOV 2020 AT 22:06

"रात अँधेरी गुमनाम हमसफर , जिसमें कल का वो राज छिपा है ।
आज को धुआँ कर देखो वो पागल , बीते कल के मोह में अब तक झुका है ।"

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23 JUL 2020 AT 0:18

"Happiness in life is a germ that ruins your life like lust. Because the darkness never tolerate happiness".

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22 JUL 2020 AT 0:41



"ना जाने कैसा पल है , बारिश की बूदों में मुझे अपना कल नज़र आता है ।
उबलती ज़िन्दगी की उस चाय में , अब धुँए सा सब बस बिखरा नज़र आता है ।"

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25 JAN 2020 AT 1:58

"गहरे राज़ अक़्सर छुपाये रहते हैं बो चेहरे जो हमेशा मुस्कुराते हैं , रातों में बिखेर कर आँसू दिन भर सबको हँसाते हैं ।"

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