Kabir singh  
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Writer and lyricist
Joined 7 June 2020


Writer and lyricist
Joined 7 June 2020
25 SEP 2023 AT 23:04

सब बहती नदियों का शोर है
क्या थोड़ा ठहरा पानी भी है||

जिसे तुम अपनी कहे जा रहे हो कब से
क्या उसकी कोई निशानी भी है ||

ओर तारीफ तो की नहीं तुम ने उसकी आंखों की, ना ही जुल्फों की
हर दम उसके हसीन हुस्न पर लिखते हो
ऐ मोहब्बत ही है ना ? , या कुछ ओर कहानी है

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12 JUL 2023 AT 22:53

अकेला में ही तो! शराबी था इस मौहल्ले मे
फिर तुम से इश्क हुआ ,
ओर इश्क का नशा तो इस कदर हुआ
की आज उस महकाने मे नुकसान चल रहा है

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30 JUN 2023 AT 19:30

हमारी मोहब्बत की थोड़ी खबर तो है ज़माने को
कोई फूल, या कोई ज़ेवर खरीदूं क्या तुम्हें पहनाने को
आखिर कुछ तो पहना करो तुम मेरे नाम का
ये मोहब्बत ज़माने को दिखाने को

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11 FEB 2023 AT 2:10

तुम्हारे शहर की किस्मत देखो! कितनी हक में है
कि आज उसने जुल्फें बांद रखी है
वरना मेरे शहर तबाही ओर सब तबाही है

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28 JAN 2023 AT 13:23

"You are my favorite person to be with, my best friend, and my forever valentine"

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28 JAN 2023 AT 13:21

"My love for you is like the universe, never-ending and constantly expanding"

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28 JAN 2023 AT 13:18

"The best and most beautiful things in the world cannot be seen or even touched - they must be felt with the heart."

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10 JAN 2023 AT 21:44

इस बात को यहीं खत्म करते हैं
लफ्ज़, ये बड़ा सितम करते हैं
ग़म क्या ही करे अब परिंदे की रिहाई पे
चलो आखिरी नज़र - ऐ - नज़्म करते हैं

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7 JAN 2023 AT 12:16

ये सब उसे देखने का असर है, कि सब नशे में है
वरना वैसे उस गली में कोई महखाने नहीं है

दीवानों की इस कदर तोहीन ना करो
कह कर कि तुम्हारे कोई दीवाने नहीं है

और बाहर चबूतरे पे बैठ कर, तुम ये सब जो करती हो
क्या घर में कोई और ठिकाने नहीं है

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6 JAN 2023 AT 0:55

कोई सैलाब हो तो उसमें बह जाऊं
निगाहें रखें उसके आने पे, किसे कह जाऊं
कहीं ऐसा ना हो,
वो निकल जाये ओर में देखें बिना रह जाऊं

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