Kâbîr Ràjásthâñí   (Kabir Shayar)
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Joined 7 February 2019


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Joined 7 February 2019
22 JAN 2022 AT 23:46

जज़्बात संभाले तो लम्हे गिरने लगे
लम्हे संभाले तो गम बिखरने लगे

तुमसे दूर जाने की हर कोशिश को अंजाम दिया
पर अफसोस हर बार हम तुम पर मरने लगे

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2 DEC 2021 AT 10:56

हमसे नाराज हो कर बात ना करने की अदायें
गुस्से मै क्या खूब लगते हो क्या बताये

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18 OCT 2021 AT 13:04

ना परीक्षा की चिंता ना कंधो पर बोझ
जंगल जलेबी हम खाते थे रोज

खेलते थे हम कंचों का खेल
छुक छुक गाड़ी बनाते थे रेल

अंधेरे मे छुपन् छुपाई
देर होती तो घर पर पिटाई

नानी की भूतो की कहानी
अब वो दिन ना मिलेंगे रे भाई
अब वो दिन ना मिलेंगे रे भाई

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18 SEP 2021 AT 15:08

Yun Har Ek Par Marjaana
Aisi Aadat Se Acha Marjaana

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5 SEP 2021 AT 2:09

Chere Par Hasi Par Aankhen Nam Hai
Kisiko Kya Pata Seene Me Kitna Gam Hai

Jo Ro Ke Has Pade Wo Insaan Ham Hai
Raaten Bechain Si Sukoon Kahi Ghum Hai

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3 SEP 2021 AT 20:53

कर लिया इश्क़ अब हमने भी शायरी से
तेरे बाद किसी से तो वफा निभानी थी

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3 SEP 2021 AT 11:35

अगर खुवाबो मे आओ तो ज़रा बता कर आना
तुम्हारी यादों मे हम अक्सर सोया नही करते

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2 SEP 2021 AT 11:39

Kuch Is Kadar Lagi Hame Hawa Ishq Ki
Ke Apne Bhi Phir Paraye Lagne Lage

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2 SEP 2021 AT 11:34

Ye Daur Bhi Kitna Ajib Hai
Khud To Badla Logo Ko Bhi Badal Gaya

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31 AUG 2021 AT 20:57


इस भरी दुनिया में, कोई भी हमारा न हुआ
गैर तो गैर हैं, अपनों का सहारा न हुआ

लोग रो-रो के भी इस दुनिया में जी लेते हैं
एक हम हैं की हंसे भी तो गुज़ारा न हुआ

इक मुहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
क्या करें ये भी ज़माने को गंवारा न हुआ

आसमान जितने सितारे हैं तेरी महफ़िल में
अपनी तक़दीर का ही कोई सितारा न हुआ

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