राम-मय और भगवा रंगा आज पत्त्ता पत्त्ता डाली डाली है, जब चौदह बरस का वनवास बिता आये थे राम, तब त्रेता की दिवाली थी, ये कलयुग की दिवाली है !🙏
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हाथों की लक़ीरों में अगर है तू मेरी तो कोई और कैसे तुझे मुझसे छीन ले जायेगा, जुदा किया था जिस वक़्त ने हमे वो वक़्त ही हमे फिर से मिलाएगा... ✍️❤️
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आज केसरी रंगा देश का ज़र्रा ज़र्रा है, लड़ते है जो सरहद पर जवान, उनकी नसों में बहता लहु भी अब तिरंगा है
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सुनो 'date' पर ताज महल तो बहुत लोग जाते है, पर तुम मेरे साथ वृंदावन के प्रेम मंदिर चलोगी क्या?❤️✍️
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सुनो तुम्हे जरुरी नहीं सजना सवरना, बस तुम्हारी झुकती पलकों से जो हया टपकती है, मै तो बस उसी पर फ़िदा हूँ... ❤️✍️
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मै मचलती लहर हूँ तू ठहरा किनारा है चाहिए तेरे दिल में मेरे दिल को मेहफ़ूज़ ठिकाना बिन तेरे तो ये दिल बस आवारा है...❤️✍️
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सुनो बहुत सर्द है ये दिसंबर की आखिरी रात पर तुम साथ हो तो मई और जून जैसी ही गुज़र रही है...❤️✍️
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सुनो इस अलाव का धुँआ चुभेगा तुम्हारी आँखों में, इसे बुझाकर मेरे क़रीब आओ खुद-ब-खुद एक अलाव जल उठेगा दोनों के दरमियान...❤️✍️
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सुनो , दुनिआ की सबसे बुरी चीज़ है एक तरफ़ा प्यार , परवाह है तुम्हारी इसलिए नसीहत दे रहा हूँ "please" तुम किसी से मत करना ✍️ 💔
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सुनो, तुम्हे जरूरी नहीं सोलह श्रृंगार , मैं तो तुम्हारी सिर्फ बिंदिया पर फ़िदा हूँ ❤️✍️
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