खुशी किसे कहते हे ये तो मुझको मालूम ही नहीं
पर गम किसे कहते हे ये तुझको अपना कह कर
जरूर सिख लिया हे मेने
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मुझको दिया हुआ तेरा हर तोफा कबूल हे
चाहे वो खुशी हो या फिर तेरा दिया हुआ गम
मुझको सब कबूल हे-
तुम्हारे अलावा कहा किसी ओर से मोहब्बत निभाने वाला हू
अगर कभी ना वाद्ले हालात तो मे वो जमाने को करके दिखाने वाला हू
ये वादा हे मेरा तुम्हारे पाव मे रख दूंगा कयेनात एक दिन
माना की में अपने घर का अकेला कमाने वाला हू-
हंसी और खुशी किसे कहते है
ये सब तो भूल चुका हु में
पर गम किसे कहते है ये
बहुत अच्छी तरह याद हे
मुझको भुला नही हू में-
कितना इश्क है तुमसे यह लफ्जों में
कहना ही नहीं आता हमको
मैं अपने प्यार को यूं सरेआम उछाल दूं
सबके सामने सुनो इतना भी गुस्सा
नहीं आता हमको-
सोने लगा हु तुझे ख्वाब में देखने की हसरत लेकर
देखना कोई जगा ना दे तेरे दीदार होने से पहले-
मेरी यादों भरी वो डायरी न जाने कहा गुम
हो गई हे
जिसमे मेरी जिंदगी का हर लम्हा लिखा था मेने
अब तलाश में हु उसकी ओर खुद की भी-
गैर तो गैर थे मुझे तो अपनो ने भी धोका दिया हे
बहुत सी उम्मीदें थी मुझको उन लोगो से जिन्होंने
मुझको रात भर सोने तक न दिया हे
साथ ना दिया मुझको इस जालिम जमाने के लोगो ने
बस एक मां बाप के सिवा मेरा साथ किसी ने भी न दिया हे-
पापा अब में नाराज नही होता किसी से भी
क्योंकि अब मुझे मना ने आप नही आते-