क़ाश कुछ अब भी बाक़ी है   (Rohit)
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#लाश थी इसलिए तैरती रह गयी,
डूबनें के लिए जिंदगी चाहिए

#क़ाश_कुछ_अब_भी_बाक़ी_है
Joined 19 November 2021


#लाश थी इसलिए तैरती रह गयी,
डूबनें के लिए जिंदगी चाहिए

#क़ाश_कुछ_अब_भी_बाक़ी_है
Joined 19 November 2021

चाॅंद सी ख़्वाहिश, है वो मेरी,
एक रात सा, उसको चाहूँ मैं,
एक सुबह के किरणों जैसी वो,
एक धूप सा, ख़ुद जल जाऊॅं मैं,
फिर छांव करे, वो बाहों की,
और नींद में, घुल सा जाऊॅं मैं
फिर देखूँ, उसके ख़्वाब सभी,
और उसका कभी, हो जाऊॅं मैं
मेरे दिल से, न पूछो हाल मेरा,
अब क्या ही कहूॅं, और कैसा है,
उसको जो, न देखूॅं, पल भर भी,
तो सांस तलक, न ले पाऊॅं मैं

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कहेनें को और कुछ भी, अब तो बचा नहीं,

और जो बचा है, वो भी, बायां कर नहीं सकते

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मेरे अपनों के ही दर्द, कितने हैं या ख़ुदा,

तू भी जभी बता, तुझको हैं देने कब

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ज़रूरी तो नहीं, मैं सारी दुनिया को अच्छा लगूॅं,

तुमको लगता हूॅं न, बस इतना ही काफ़ी है

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सदियों से लापता हूॅं, मैं ख़ुद में कहीं पर

फिर आईनें ने आज, बताया है ये मुझे

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कहने के लिए, वक्त भी मिलता नहीं उन्हें,
मशरूफ हो चुके हैं, किसी और शख्स से
ये बात आम है या, मेरी नज़रों का फेर है,
मुझे देखनें से अब तो, बचने लगे हैं वो

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शाखों से ,एक बात जो सीखी मैने,

बोझ बन जाओ, तो गिरना कैसे है

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ज़िंदगी का हर सफ़र मेहरबान हो जायेगा,

जरा वक्त रहते, सारे सम्हाल लीजिए रिश्ते
वरना टूट कर बिखरे, तो नुक्सान हो जायेगा

है कुछ नहीं मिलना, किसी भी मिलने वाले से,
ये समझ जायेंगे, बिछड़ना आसान हो जायेगा

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एक दौर में छीन लीं हैं, नादानियाॅं मेरी,
एक उम्र सदमें में है, जबसे सम्हला हूॅं मैं,
सबको यकीं था, ज़िंदा तो, आऊँगा अब नहीं
वो जिस जगह से डूबकर, वापस लौटा हूॅं मै

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सकून की खातिर, जलाते हैं ख्वाहिशें अपनी,
फटी हुई जेब से, सिक्के उछाल रहे हैं लोग,
खुशियों में भी, मातम दिखता है चेहरों पर,
हर साॅंस जीने की चाहत में, मौत पाल रहे हैं लोग

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