यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ,
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा।-
कार्तिकेय तिवारी
(कार्तिकेय तिवारी)
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Joined 23 November 2021
28 DEC 2021 AT 13:54
22 DEC 2021 AT 23:17
एक मित्र की तलाश है ।।
शायरी से नही समहल पा रहा हु।।
इस जिंदगी की भाग दौड़ में!!! 😔😔-
17 DEC 2021 AT 21:17
मै कौन सा हिस्सा रफू करूँ जिंदगी तेरे लिबास का...
कभी जेब सिलती है तो कभी गिरेबान फटने लगता है.-
17 DEC 2021 AT 7:56
इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है
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16 DEC 2021 AT 22:55
मैं राह का चराग़ हूँ सूरज तो नहीं हूँ,
जितनी मेरी बिसात है काम आ रहा हूँ मैं।-
30 NOV 2021 AT 15:36
मैं वो घर था जिसे आबाद नहीं करता कोई,
मैं तो वो था जिसे याद नहीं करता कोई।-
29 NOV 2021 AT 14:15
शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगे
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएँगे।
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29 NOV 2021 AT 13:59
मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो ख़ैर
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29 NOV 2021 AT 12:41
बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिए
ज़िंदगी जंग है इस जंग को जारी रखिए।
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