काफ़िर !!! 🖤   (काफ़िर !!{रविशंकर प्रसाद})
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Joined 10 January 2019


Joined 10 January 2019

वो दौर भी गुजर गया
गुजरते गुजरते मेरे उम्र के साथ ।।

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21 JAN AT 11:08

वो जो आज
ईश्वर की आँखे
खामोश नज़र आते है
मानो भूख की आग को
समाज ने राष्ट्रवाद की पानी से
बुझाया हो ।।।

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5 NOV 2023 AT 19:55

अब रुक जाना बेहतर समझते हैं
यू बिना मंजिल रास्ते तलाशना, बन्द करते है
शायद कही रुक जाना,सुकून दे जाए हमे
सूरज की चाहत छोड़, अब अंधेरो में थोड़ी सी
रोशनी तलाशना बेहतर समझते है।।
हारे आज भी नही थे,जिंदगी तुझसे
बस तुझको दुश्मन नही,अब दोस्त बनना बेहतर समझते है।।

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6 AUG 2023 AT 14:28

पल भर में चेहरों को बदलते देखा है
हमने लोगो की फ़ितरत बदलते देखा है
रिश्ते अब बस मिट्टी भर, नजर आने लगा है मुझेको
हमने पत्थर की मूरत को पैसों में बदल,खुदा बनते देखा है।।

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29 JUN 2023 AT 18:30

बेशक़ अनुभव आप को सीखा जाता है बहुत कुछ
मगर इसकी कीमत उम्र भर के दर्द को,लेकर चुकानी पड़ती है

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27 JUN 2023 AT 22:12

अबकी बारी उलझनें खत्म होने वाली ही थी
किसी मोड़ पर की,
दिल को किसी से मोहब्बत हो जाती है ।।

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26 JUN 2023 AT 22:25

किनारे है इनको बनाया नही जाता
अक़्सर मेरे मन की,लहरें इनको तोड़ जाती है
कोई मूर्त हो तो,उसको अपने रूह में उतार लेता
मगर खूबसूरती अब पैसो से खरीदी जाती है ।।।

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16 JUN 2023 AT 0:47

राते काली और ख़ामोश है
मगर इसकी रोशनी ना सोने देती है
और ना शोर सुकून जीने देता है ।।।।

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15 JUN 2023 AT 1:29

ना दर्द का कोई निशान था,
ना दुःख की कोई वज़ह नज़र आती
इतनी खुशियों के बावजूद,
क़ाफ़िर को जिंदगी में हर मोड़ पर कमी नज़र आती ।।

ना गुजरे और ना गुजरता कुछ ऐसा,दौर छोड़ आये थे
अपने कमरो में पड़ी,दरारों के सिवा कुछ अधूरी लिखे किताबें छोड़ आये थे,
जो हम पर गुजरी,वो कोई बयान ना कर पाया कभी
कुछ राख में जलते अधूरे,अपने किस्से के पन्नो को छोड़ आये थे ।।

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10 JUN 2023 AT 12:32

लोग कहते है कि हम बुरे आदमी है
लोग भी ऐसे जिन्होंने, हमे देखा न मिले

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