चंद अल्फ़ाज़ों को समेट के मैं ज़िंदगी लिखने चला था,
वक़्त को शाहीं और तजुर्बे का कलाम बना मैं चला था,
पर जब हुई मुलाक़ात एस्सल ज़िंदगी से मेरे यारों,
क्या वक्त , क्या तजुर्बा , क्या शाहीं, क्या कलम,
मैं बस मेरे टूटें अल्फ़ाज़ों मैं जिन्दा बचा था…!
-
🚩 Just an ordinary guy 🚩
Click to send me messages Anonymously 👇
कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस
Crow’s perspective
दरखास्त के चलते आपके, नैनों को ना मैं छूँ पाया,
आस् तो बड़ी लगाई थी आपने, ना जाने क्यू वो पियाँ लॉंट ना आया
अब इंतज़ार के चलते आपकें दिल को नोच में खाया,
हलक से उतरा दिल का निवाला तो जाना, आपकी आँखों में आँसू क्यूँ आया,
अब लाख सच्ची होगी ना मोहब्बत आपकी,
पर पियाँ आपका तों आपसे नज़ारे मिला ना पाया…!
-
ज़ियाफ़त
क्याँ मैं, रोज़ बदलते पानी मैं रखा जाने वाला इक फ़ुल हूँ ?
या मैं इस बदलते जमाने मैं ना बदलने वाला दस्तूर हूँ ?
क्या मैं रेगिस्तान कि तड़पती धूप मैं सच ना होने वाला सराब हूँ ?
या मैं बहते पानी मैं वजूद खोने वाली बारिश की बूँद हूँ ?
क्या हूँ मैं, जो ख़ुद ही ख़ुद के वजूद को लेके परेशान हूँ
ना जाने क्या हूँ मैं , क्यूँ हूँ मैं , किस लिये हूँ मैं ?
शायद ज़िंदगी का मतलब ढूँढने निकली तलाश हूँ मैं,
या शायद खुदा की बोरियत दूर करने वाली ज़ियाफ़त हूँ मैं।
-
Can we love with a deadline?
She questioned, "Can we love with a deadline?"
Little did she know, the situation she put me in wasn't fine.
Wiping tears from my eyes, I expressed,
Love, like ink and words, is something I manifest.
Ink wipes its existence to give identity to words,
Words respect the sacrifices and preserve their worth.
Finishing every ounce of it, ink knows it's going to be the end,
So while ink does have a deadline, it’s nothing; that’s what ink pretends.
So the answer lies here in the question she asked,
We can love with a deadline, knowing that even if we don't, love will last.-
Empty rib cage
Every time I met her, I stole a pinch of love from her.
Every time I met her, I lost a piece of my heart to her.
This exchange of love and heart has cost me a lot.
In the name of love, she has two hearts now, and my RIB CAGE is empty for eternity…!-
मेरे चाहत की, चाह भी बड़ी निराली है
वो चाहती है कि मेरी मोहब्बत, मैं उसकी दोस्ती पे कुरबान कर दु
ना जाने उस नादान को, क्या मुझे उलझाने में मज्जा आता है
भला कोई मुर्दे को खुदको जलाने की हिदायत् देता है ?-
मेरा सनम मेरे दिल को फ़ुल कहा करता था ,
मसल के दिल को जब वो चल बैठा ,
तब आया याद हमे वो इतर लगाने का शौक़ रखा करता था…!-
ठिकाना
क्या तेरी राहों का में हु कोई ठिकाना
मंजिल ही नही सही पर रुक जाना मेरे यारा
केसे में बताऊं में हुआ तेरा दीवाना
तू हुआ नही मेरा पर में हुआ तेरा ना
ठहर के जरा तु क्यूं ना सोचता दोबारा
मंजिल तो मिलेगी ही पर क्यूं ना देखू में ये ठिकाना....-