k. sharma   (Kaushal sharma)
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Joined 15 January 2020


Joined 15 January 2020
12 JUN 2020 AT 20:18

फूल तो थे पर मेरा वो हसीं यहाँ गुलाब न था

यूँ तो गुलिस्तां में खिले हैं गुल यहाँ क़दम दर क़दम
मग़र तुम सा हसीं कोई यहाँ जवाब न था

एक गुल ने कहा दिल से, अलहदा गुलाब कोई चुन लूँ
मग़र तुमसा हसीं कोई मिरा यहाँ ख़्वाब न था

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12 JUN 2020 AT 16:18

वक़्त मिले, आँखे दो-चार कर लीजिये
राहत औ सुकून को इतना ही काफी है

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12 JUN 2020 AT 10:03

जब भी तुझे देखा ख़ूबसूरत चेहरा खिलता हुआ गुलाब पाया
इन हवाओं में तेरा महकता हुआ आँचल शबनमी शबाब पाया
जब - जब भी तुम मुस्कुराते हो, ये मैकदे से लब खिल उठते हैं
फिर वोही शर्मो हया से घिरता हुआ हमने दुश्मन ऐ हिज़ाब पाया

आज़ जाने क्यूँ , दिल में फिर एक अजब सी हलचल सी है
ये बहती हुई ठंडी हवाएं भी , आज कुछ कुछ चंचल सी है
जब हमने राज़ -ऐ -दिल जाना तो फिर तेरा ही ख़याल आया
तुम बिन जिंदगी का सनम , फिर से वो ही सवाल आया

सोचता हूँ तुम्हें ढलती हुई हर शाम , जब तुम बहुत याद आते हो
ताज़ी हवा सी ख़ुशबू सी , कुछ यूँ तुम दिल में उतर जाते हो
इस दिल ने अक़्सर तनहा , तुम्हें ही याद फ़रमाया
तुम हो मेरे महबूब सनम , तुम्हीं हो मेरे हमसाया
........continue
_kaushal sharma

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11 JUN 2020 AT 23:03

लाखों में एक हो तुम, जिसपे मैं एतबार करता हूँ
क़रीब तुम ही नहीं जिसे मैं बेहद प्यार करता हूँ

मेरे दर्द औ गम की निस्बत आख़िर तुझे क्या खबर
किस क़दर सुबहो शाम ख़ुदा से मैं फ़रियाद करता हूँ

तुझसे मिलने की आरज़ू में शायद ज़िन्दा हूँ अब तलक़
तेरी याद में सरे राह चराग ऐ रोशन मैं आबाद करता हूँ

मुहब्बत है या तिज़ारत या फिर शरारत है दिल में
दरो दीवार से आज भी चन्द यही मैं सवालात करता हूँ

काश ! रुक जायें अब दिलफरेब मुहब्बत के तिलिस्मात
आजिज़ आ चुका हूँ शायद खुद को बर्बाद मैं करता हूँ
.........continue

_kaushal sharma






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8 JUN 2020 AT 2:40

मुस्कुरा रहीं हैं बहारें , फिर से दिल धड़क जाने दो
थोड़ी देर सही,इन फ़िज़ाओं को फिर से महक जाने दो

सुबहो शाम , हर इक जाम , तेरे नाम हम पीते हैं
बेइंतहा दर्द है ,मग़र फिर भी हम मुस्कुराते हैं जीते हैं

आज कदम लड़खड़ाने दो , थोडा सा बहक जाने दो
थोड़ी देर सही,इन फ़िज़ाओं को फिर से महक जाने दो

कभी संग - संग , फ़िज़ा के फूल बेशुमार देखे हमने
मुस्कुराते हुए लम्हें , औ लब बेक़रार देखे हमने

फिर से क़रीब आ जाओ , मुझको करार आ जाने दो
थोड़ी देर सही, इन फ़िज़ाओं को फिर से महक जाने दो

_Kaushal sharma (.....continue)



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7 JUN 2020 AT 0:48

उसी राह पे इक मोड़ से अब वो गुज़र जाते हैं
आज हालात हैं ऐसे हर वस्ल से वो मुकर जाते हैं

कभी हमदम थे वो मेरे दोस्त मेरे हमनवां
आज़ दूर रहकर ही वो ज़रा दूर से मुस्कुराते हैं

खुश रहने की झूठी अदाएं कोई उनसे सीखे
हज़ार गफ़लत से घिरे ख़ुद को अब वो पाते हैं

दिल फरेब धोखे जो किसी से करता है
लौट कर इक दिन वो सदाएं उन्हें ही सताते हैं

जा रहे हो बेशक़ तुम मुझे अश्क़ ऐ सौगात देकर
याद रखना यही मंजर कभी खुदको भी रुलाते हैं

_kaushal sharma


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7 JUN 2020 AT 0:34

चंद लफ़्ज़ों में झूठी दुनियाँ वो बसा देते हैं
मेरे ख़यालात में बेइन्तहां भरोसे की वो सज़ा देते हैं

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6 JUN 2020 AT 2:26

दिल की लगी को अब ज़रा आग होने दीजिये
फिर से मुहब्बत की नई शुरुआत होने दीजिये

इश्क़ मुहब्बत का सनम , दुश्मन है ये जमाना
जल कर अब और उन्हें ज़रा ख़ाक होने दीजिये

चाँद की चांदनी को तरसता है मिरा दिल
अभी तो दिन है , शबनमी चांदनी रात होने दीजिये

हो जाएगा इश्क़ ग़र यूँही मिलते रहें हम
मुलाकातों का दौरादौर अब सुबहो शाम होने दीजिये

तुम्हारे ही हसीं नूर से मैं ज़िन्दा हूँ अब तलक़
और क़रीब तनहाई में ज़रा बात होने दीजिये

छाया है जो दिल पे वो अब तलक़ तेरा ही सुरूर है
फिर से वोही दिलकश हसीं बरसात होने दीजिये

पल भर की मुहब्बत में तमाम हसरतें हैं अधूरी
फिर से अपनी जुल्फों में मुझे गिरफ्तार होने दीजिये
_kaushal sharma

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5 JUN 2020 AT 0:37

रफ्ता रफ्ता ही सही तेरे इश्क़ में मर्ज़ ये बढ़ता रहा
मुझको अब तनहाई की सख़्त ज़रूरत हो चली है

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5 JUN 2020 AT 0:21

दिल है बेचैन ये जाए तो किधर जाए
सामने जो देखा तो आप ही मुस्कुराए।

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