मुस्कुरा रहीं हैं बहारें , फिर से दिल धड़क जाने दो
थोड़ी देर सही,इन फ़िज़ाओं को फिर से महक जाने दो
सुबहो शाम , हर इक जाम , तेरे नाम हम पीते हैं
बेइंतहा दर्द है ,मग़र फिर भी हम मुस्कुराते हैं जीते हैं
आज कदम लड़खड़ाने दो , थोडा सा बहक जाने दो
थोड़ी देर सही,इन फ़िज़ाओं को फिर से महक जाने दो
कभी संग - संग , फ़िज़ा के फूल बेशुमार देखे हमने
मुस्कुराते हुए लम्हें , औ लब बेक़रार देखे हमने
फिर से क़रीब आ जाओ , मुझको करार आ जाने दो
थोड़ी देर सही, इन फ़िज़ाओं को फिर से महक जाने दो
_Kaushal sharma (.....continue)
-