K Sarvottam   (K Sarvottam)
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Joined 5 April 2019


Joined 5 April 2019
6 NOV 2021 AT 18:07

आज एक हसीन ख़्वाबों में फिर इक़रार हुआ
और कल आने का फिर ऐतबार हुआ।


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26 OCT 2021 AT 0:30

पूरी रात और तेरी अधूरी बात
सारी जज़्बात छोड़ जाती हैं।

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28 MAY 2021 AT 23:09

आज फिर उनका 'इंतेज़ार' करके देखा है,
वक्त कटे नहीं कटता आज फिर ये देखा है।

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28 MAY 2021 AT 7:41

कुछ तो मौसम का भी कसूर होगा
वरना मेरी आदत इतनी भी मजबूर नहीं।

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15 MAY 2021 AT 13:15

"हाँ, नहीं, पता नहीं" ख़यालों ने,
और तरसती सुकून भरी निगहों ने,
आज फिर उनसे एक सवाल कर डाला,
मेरे इस जज़्बाती ज़हन को कब अपनाओगे
ख़ामोश लब्ज़ों में उन्होंने कह डाला
"हाँ, नहीं, पता नही"



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20 APR 2021 AT 21:16

पा लेने की बैचनी
और खो देने का डर
बस इतना ही है
जिंदगी का सफर....

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11 APR 2021 AT 21:54

कुछ बातें सिसक कर जाती है,
जब यादें बेशर्मी से रुलाती है।

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10 APR 2021 AT 15:38

"एक ख़्वाब" द्वार पर खड़ी थी
ना जाने क्योँ आसूं निकल पड़े...

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4 APR 2021 AT 11:12

तकते तकते नैन थक गए
अब तो बता दो तुम कब आओगे...

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15 MAR 2021 AT 8:15

जिन्हें नींद नहीं आती
बस उन्हें ही मालुम है,
की सुबह होने में
कितने ज़माने लगते है!

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