मनुष्य के अच्छाइयों और बुराइयों को जानने के लिए,
उसके व्यक्तित्व के गहराईयों मे उतरना जरूरी है...-
अपना सुकून अब खुद मे ढूँढता हूँ,
क्योंकि कोई कितना भी प्यारा हो,
एक दिन दिल भर ही जाता है,
दूर ही रहता हूँ अब इस अपनों की दुनिया से,
क्योंकि कोई कितना अपना क्यों न हो,
एक दिन बदल ही जाता है...-
मनुष्य के अंदर का तूफान बाहर के शोरगुल से कई गुणा मजबूत और जानलेवा होता है....
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बिछड़ के उनसे दिल फिर कभी लगा नहीं,
हर बार लगने लगा की लगा, पर कभी लगा नही...-
तुम बिन मैं कहाँ, मेरे बिन तु कहाँ ! सुन!!
तुम दिन मेरा, मैं रातें तेरी,
तु खामोशी मेरी, मैं बातें तेरी,
तुम चाँद मेरा, मैं तारा तेरा,
तू भटका हुआ, मैं सहारा तेरा,
तुम आह मेरी, मैं चाह तेरी,
तु मंजिल हो, मैं राह तेरी,
तुम बिन मैं कहां, मेरे बिन तुम कहां!
तुम हो जहाँ, मैं भी वहाँ!!
तुम राधा मेरी, मैं कान्हा तेरा,
सून, तुम बिन तो मैं बस आधा यहां...
तू नैय्या मेरी, मैं पतवार तेरा,
तू घर मेरा, मैं संसार तेरा,
तू लॉ मेरी, मैं दिया तेरा,
तू गीत मेरी, मैं धुन तेरा,
पायल तू मेरी, मैं रूनझुन तेरा,
सांसो में बस एक तेरा नाम,
चाहना तुझे बस यही मेरा काम,
तुम रूप हो, तुम्ही रूपवान हो,
तुम गुण हो, तुम्ही गुणवान हो,
तुम चांद हो, तुम्ही आसमान हो,
भूल से भी ना भूलू जिसे,
बस तुम वही मेरे भगवान हो....सुन...
तुम बिन तो मै बस आधा यहां...
तुम बिन मैं कहां, मेरे बिन तुम कहां !
तुम हो जहाँ, मैं भी वहाँ!!-
बिखरा हुआ सामान नहीं, जो समेट लूँ इक पल में,
बिखरा हुआ अरमान नहीं, जो छोड़ दूँ कुछ दिन में,
बिखरे हुए रिश्ते भी नही, जो जोड़ लूँ एक अरसे में,
ज़ज्बात के टुकड़े है, वक़्त लगेगा अभी संभलने में...-
जैसे तुमने भुलाया, हम भी भुला दे तो क्या होगा,
जैसे तुमने छोड़ दिया, हम भी छोड़ दे तो क्या होगा,
जिंदगी के हर हिस्से से जैसे तुम मुझे निकाल रहे हो,
अगर हम भी तुम्हे निकाल दे, तो क्या होगा !!!-
सुकून के एक पल के लिए बेकरार कर गया,
वो शख़्स मुझे मुझसे ही बेजार कर गया,
शायद उसे कुछ खबर भी नहीं,
वो हर बाज़ी जीता,
क्योंकि हर बार उसके लिए मैं हार कर गया...-
तुम भूल गये क्या, आओ तुम्हें याद दिलाता हूँ!
तुम सो गये क्या, आओ तुम्हें जगाता हूँ!!
ये धरती उस राम की जिसने अधर्मियों का दमन किया था,
ये धरती उस कृष्ण की जिसने गीता का वचन दिया था,
ये धरती उस धर्मराज की जिसने धर्म की ज्योत जगाई थी,
और ये धरती उस बुद्ध की जिसने शांति का पाठ पढाया था,
तुम भूल गये क्या, आओ तुम्हें याद दिलाता हूँ!!
यहाँ वो चंद्रगुप्त हुए जिसने विश्वविजयी को धूल चटाई थी,
वो पृथ्वीराज जिसने दुश्मन के खेमों मे दुश्मन से आँख मिलाई थी,
और वो मेवाड़ी राणा जिसने मुगलों को खाक में मिलाई थी,
दक्खिन वाला वीर शिवाजी जिसने सर कटाने की सीख सिखाई थी,
सखियों संग पद्मिनी ने जौहर में एक नई जीत बनाई थी,
तुम सो गये क्या, आओ तुम्हें जगाता दिलाता हूँ!!
वो जिद्दी मतवाला जिसने इश्क़ छोड़ सूली को चूमा था,
वो बॉस जिसके किस्से हिटलर की गलियों तक घुमा था,
जलियाँवाला की खातिर जिसकी दहाड़ से लंदन का संसद भी सुना था,
आजाद था नाम उसका, मरते मरते जिसने दुश्मन को गोलियों से भुना था,
वो सात बालक, जिसने शहीद होकर झंडा लहराया था,
बिना एक बूंद खून गिराए जिसने हिंदुस्तान सजाया था,
तुम भूल गये क्या, आओ तुम्हें याद दिलाता हूँ!
तुम सो गये क्या, आओ तुम्हें जगाता हूँ!!-
मेरे जज़्बात की कीमत ये दुनिया क्या लगायेगी,
एक उम्र खर्च की है मैंने, नाकाम इश्क के लिए...-