'क'मल 'वि'शनोई   (Kayvee)
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Joined 3 April 2020


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Joined 3 April 2020

सिहर जाता हूँ सोच कर भी
ज़ायका तेरे लबों का कुछ यूँ भाया...

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यूँ भुलाना उसको अब ठीक नहीं
कि साँसे मेरी उसकी साँसो पर टिकी है
और जो मयस्सर है नहीं भगवान तक को
उसकी आँखें बस मुझी पर क्यूँ टिकी है

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फूल मैं, फूल में लगा दूंगा
इजाजत हो तेरी, फिर मांग भी सज़ा दूंगा...

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अब भुलाना कठिन है
तेरी मन मोहक महक को
कि, भूलूं भी कैसे
इन रुखसारो की दहक को l
और जो भूल जाऊँ
तो क्या ये, मुहब्बत हुई फिर
पर बस, यूँ ,तू भी करना
ना मिटने देना,इस हमारी कसक को ll

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मन तन और हुस्न ऐ जन तेरा
जैसे कवि की एक रचना
त्रिवेणी लेखन सी ...

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इश्क़ में सबसे प्यारा
बस हरदम तेरा एहसास ऐ खास...

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गर् लिखना है मुहब्बत को, तो बस मीठी बहुत मीठी...

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एक चिङी मिली है
किसी चिङे को
कुछ तो शिव
ने भी लिखा होगा ।
और पहरेदार तुम
भला कौन ही हो
कि सबकी नज़रों से फर्क
कुछ कुछ तो दिखा होगा ।।
और मेरे कहने से
तोड़ दो बेडिंयां उनकी
जिनका मन कभी
पूजा मे भी दिखा होगा ।।।
फिर वो चोंच से
पानी पियें ,या इश्क
होगा वही जो
उनकी किस्मत मे लिखा होगा ।।।।...



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किताबो में लिखा जाऊंगा
मै वो अक्षर हूं ।
मेरी बातों को ना यूं दरकिनार कर
वल्लाह मेरा सिक्का
अलग जुबान पर है ।
तो क्या ?
मै वो हूं
जो कौडियों मे गिना जाऊंगा.... ना ना...

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यार कुछ भी थोडे ही लिखोगे नम्बर बढाने को ...दुःखद
कई सारी शायरा....

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