K. Kaveri   (Krishna Kaveri "KK")
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Joined 2 August 2022


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2 HOURS AGO

काश मेरी तरह तू भी,
किस्से-कहानियां,
गीत-गजल लिखता,
और....
मैं,
तेरी लिखी कहानियों की,
नायिका होती!

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9 HOURS AGO

बूढ़े आदमी के पास कुकू-कुकी नाम के परिंदों का जोड़ा था। दोनों पिंजरे में कैद थे, फिर भी एक-दूसरे के साथ बहुत खुश थे। एक दिन कुकी को किसी ने खरीद लिया। कुकी के जाने के बाद कुकू उदास रहने लगा। उसने खाना-पीना-चहकना-फुदकना बंद कर दिया। कुकू की हालत देख,
आदमी को गलती का एहसास हुआ। वह कुकी को वापस खरीद लाया।
आदमी जानता था, वह बूढ़ा हो गया है, ज्यादा समय तक परिंदों की देखरेख नहीं कर पाएगा। वह परिंदों को लेकर जंगल की तरफ चला गया। कुछ देर तक परिंदों को देखने के बाद, उसने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। सबसे पहले कुकी बाहर आई, उसके पीछे कुकू भी बाहर आया। आदमी पिंजरा उठाकर वापस जाने लगा तो, दोनों परिंदें उसके पीछे-पीछे आने लगे, तब आदमी ने अपने दोनों हाथों से उड़ने का इशारा किया और मुस्कुराता हुआ, वहाँ से चला गया। परिंदें भी पँख फैलाकर उड़ गए।

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18 HOURS AGO

Maya and Rudra book room number 112 in hotel.

The next day, Maya's dead body is found drenched in blood on bed of room number 112, along with a red rose.

Police reaches the hotel to investigate, when Rudra also returns to the hotel.
On seeing Rudra, hotel staff says, this is Miss Maya's murderer, he had booked the hotel room yesterday.

Before Rudra can say anything in his defense, police takes him into custody, just then another hotel staff says, he is not the real murderer, there was a red rose in the pocket of his coat.

I saw the murderer going inside the room as soon as Mr. Rudra came out of the hotel room, then the police shows the CCTV footage and finds out the murderer from the hotel staff and releases Rudra.

In this way the mystery of the murder in room number 112 was solved.

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22 HOURS AGO

रखेंगे!
एक-एक शब्द को साँसे बना कर रखेंगे!
गर ना मिल पाए उम्र भर तुम से फिर भी,
आँखों में तेरा ही चेहरा सँजो कर रखेंगे!
शब्दों में तुम्हें यूँ पिरोकर,
रखेंगे!
खूबसूरत मधुरम गीत बना कर,
रखेंगे!

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YESTERDAY AT 11:03

एक दशक बीत गया।
एक उम्र गुजर गई।

लड़कपन अब,
समझदारी में ढल गई।

बड़ा सितमगर था, ये वक्त भी!
कि सीख तो दी, पर अब कुछ कम की नहीं!

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16 MAY AT 21:59

मीरा के माता-पिता का सपना था कि उनकी बेटी पढ़-लिख कर, काबिल डॉक्टर बने, इसलिए उन्होंने मीरा का एडमिशन बड़े शहर के कोचिंग इंस्टीट्यूट में करवा दिया, लेकिन मीरा का मन पढ़ाई को छोड़, बाकी सभी चीजों में लगता था। वक्त गुजरा मीरा नीट के एग्जाम में सम्मिलित हुई, लेकिन सेलेक्ट नहीं हो पाई। मीरा के असफलता से उसके माता-पिता बहुत दुखी हुए। माता-पिता, मीरा को घर वापस ले जाने उसके होस्टल पहुँचते है। अपने माता-पिता को इतना दुखी परेशान देखकर मीरा को अपनी गलती का एहसास हो गया, उसने माता-पिता से कहा, मैं वक्त के महत्व को समझ गई हूँ, प्लीज मुझे एक साल का वक्त दीजिए, इस बार मैं सेलेक्ट होकर दिखाऊँगी। मीरा के माता-पिता उसकी बात को मान गए। मीरा ने एक साल ईमानदारी और लगन के साथ मेहनत की और नीट का एग्जाम क्लियर कर, अच्छे गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन लेने में सफलता हासिल कर ली।

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16 MAY AT 14:50

तेरे बिना भी जिंदगी गुजार ही लेंगे!
तू अपनी दुनिया में खुशहाल है!
हम अपनी दुनिया में,
खुश रहने की कोशिश करेंगे!

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16 MAY AT 14:01

मैं तुझ में गुम हो जाऊँ!
तू मुझ में गुम हो जाए!
मैं, मैं ना रहूँ, तू, तू ना रहे!
रहे ना फासला कोई!
ना रहे कोई शक!
ना कोई रहे ख्याल जहन में,
मैं अपने विचारों से खाली रहूँ!
तू अपने विचारों से आजाद रहे!
बस एक-दूजे के बाहों में,
हम दोनों ही कैद रहे!

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15 MAY AT 23:32

गमों के जाम पीता मन!
उदासी के धूप में तपता मन!
तन्हाइयों में चुपके से रोता मन!
पल-पल बेचैन रहता मन!
छोटी जी जिंदगी में,
जाने कितने दर्द सहता मन!
इसलिए खुश नहीं रहता मन!

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15 MAY AT 21:19

इश्क की गलियों में खो कर तो देखो!
एक बार किसी से दिल लगा कर तो देखो!

किसी के ख्यालों का, किसी के ख्वाबों का,
किसी के जिंदगी का हिस्सा बन कर तो देखो!

मयखानों में हुस्न का जाम पीने वालों,
एक बार इस इश्क के दरिया में डूब कर तो देखो!

खूबसूरत बड़ी इस इश्क की सरजमीं है,
एक बार इस सरजमीं पर उतर कर तो देखो!

महज एक ख्याल या ख्वाब नहीं है इश्क!
इश्क हकीकत है, एक बार ये मान कर तो देखो!

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