तेरी तारीफ में कुछ अल्फ़ाज़ लिख रहा हूं, तेरी मुस्कान को वसंत और तुझे गुलाब लिख रहा हूं, चॉंदनी सी रौनक है तुझ में समाई, तेरी हर इक अदा को लाज़वाब लिख रहा हूं।
हम उनकी चाह में तड़पें.. उन्हें फर्क क्यों पड़ेगा, उनके ख्यालों में रहें मरते.. उन्हें फर्क क्यों पड़ेगा, हुस्न वालों के चाहने वाले हैं यहां बहुत इसलिए, हम उन्हें मिलें ना मिलें.. उन्हें फर्क क्यों पड़ेगा ??
जब तेरी याद सताए.. तो बता क्या करूं? जब मुझे चैन ना आए.. तो बता क्या करूं? तुझ बिन ये तन्हाईयां बहुत तड़पाती हैं... इक पल जब तुझसे दूर रहा न जाए.. तो बता क्या करूं?