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चीन से एक आदमी भारत आया। उसने हवाई अड्डे पर एक टैक्सी ली।
सड़क पर बस को देखकर उसने टैक्सी ड्राइवर से कहा कि भारत में बसें बहुत धीमी चलती हैं। चीन में बसें बहुत तेज चलती हैं।
कुछ पल बाद, वह एक रेलवे पुल पर आया और देखा कि पुल के ऊपर से एक ट्रेन गुजर रही है। तब चीनी आदमी ने ड्राइवर से कहा कि, यहां ट्रेनें भी बहुत धीमी चलती हैं। चीन में ट्रेनें बहुत तेज चलती हैं।
पूरी यात्रा के दौरान उसने ड्राइवर से भारत की बदनामी की शिकायत की। हालांकि, पूरी यात्रा के दौरान टैक्सी चालक चुप रहा।
चीनी आदमी जब अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचा तो उसने ड्राइवर से पूछा मीटर रीडिंग और टैक्सी का किराया क्या है।
टैक्सी ड्राइवर ने जवाब दिया कि रु. 10,000/- है
टैक्सी का किराया सुनकर चीनियों के होश उड़ गए। वह चिल्लाया "क्या तुम मुझसे मजाक कर रहे हो? आपके देश में बसें धीमी चलती हैं, ट्रेन धीमी चलती है, सब कुछ धीमी है। एक मीटर अकेले तेज कैसे दौड़ता है? "
इस पर टैक्सी ड्राइवर ने शांतिपूर्वक जवाब दिया,
सर,
*"मीटर मेड इन चाइना है"*
😜-
हैदराबाद के एक नवाब साहब को
किसी ने "गधा" बोल दिया।
नवाब साहब को ये बहुत नागवार गुज़री और उन्होंने कोर्ट में केस कर दिया। जज ने गधा बोलने वाले से पूछा तो उसने अपनी ग़लती मानते हुए माफ़ी माँग ली।
जज ने नवाब साहब से कहाः "नवाब साहब अब तो ये माफ़ी माँग रहा है, आपका क्या कहना है?"
इस पर नवाब साहब माफ़ी
देने के लिये तैयार हो गये --
लेकिन शर्त रखी कि वह आदमी अब कभी किसी नवाब को गधा नहीं बोलेगा।
वो आदमी मान गया कि अब किसी नवाब को वो गधा नहीं बोलेगा।
जज ने मुजरिम को बरी कर दिया।
जाने से पहले उस आदमी ने जज साहब से पूछाः "योर हॉनर, मैं नवाब साहब को तो कत्तई गधा नहीं बोलूंगा लेकिन एक बात बताइये कि गधे को तो मैं नवाब साहब बोल सकता हूँ कि नहीं?"
जज ने कहा: "गधे को आप कुछ भी बोलिए, कोर्ट का उससे कोई लेना देना नहीं है।"
वो आदमी नवाब साहब की तरफ मुड़ा और बोलाः
" अच्छा नवाब साहब चलता हूँ "-
किचन में पत्नी खाना बना रही थी, मुझे भी कुछ काम था, तो मुझे 3, 4, बार जाना पड़ा,,,
मैं - थोड़ा साइड होना...,,,
मैं - थोड़ा साइड होना....,,,,
मैं - थोड़ा साइड होना.....,,,
पत्नी भड़ककर... 👉मैं खाना बनाऊँ, या बार बार साइड होती रहूँ ?
फिर जब अगली बार मुझे फिर से जरुरत पड़ी,,
तो मैं किचन में फिर गया,,, परन्तु डर के कारण इस बार मैंने पत्नी को साइड होने को नहीं कहा,,,
और उनको थोड़ा सा धक्का लग गया,,,,
पत्नी भड़ककर बोली....👉 साइड होने को नहीं कह सकते थे क्या ?-
पति पत्नी के बीच बहस हुई और नौबत मारपीट तक आ पहुंची.
.पत्नी बेलन लेकर पति पर झपटी तो उसने बला की फुर्ती दिखाई और झटपट अलमारी के अन्दर घुस गया.
."बाहर निकलो !" - पत्नी बेलन से अलमारी का दरवाजा खटखटाते हुए बोली.
."नहीं निकलूंगा .." - अन्दर से पति बोला.
."मैं कहती हूँ कि बाहर निकलो .!" - पत्नी चिल्लाई.
."नहीं निकलता !" - पति भी अलमारी के अन्दर से चिल्लाया.
.जोर - जोर की आवाजें सुनकर दो चार पडोसी भी आ गए और पूछने लगे कि क्या बात है.
.पत्नी लगभग चीखती हुई पड़ोसियों से बोली - "ये डरपोक आदमी अलमारी के अन्दर घुस गया है .. इसे कह दो कि चुपचाप बाहर निकल आयें वरना ."
.*"नहीं निकलता . नहीं निकलता ! आज पूरे मोहल्ले को पता लग ही जाना चाहिए कि इस घर में meri मर्जी चलती है . !!!*
🤣😜😂😃🤭😳-
*माँ :-**उठ बेटा, थारो स्कूल जाबा को टेम हो रियो है!*
बेटा :-**(नींद में): मन नी है स्कूल जाबा को!*
माँ :-* *तू कोई 2 कारण बता कि तु स्कूल क्यूँ नी जाबो चावे??*
*बेटो :-**पेलो कारण, कोई भी बच्चो मने पसंद नी करे!**दूसरो कारण, कोई भी टीचर मने पसंद नी करे !*
*माँ :-**ऐ कोई कारण नी हुया। उठ, स्कूल जाणु ही पड़ो।*
*बेटा :-**अच्छा माँ तु मने कोई 2 कारण बता की मैं स्कूल की वास्ते जाऊँ?*
माँ :-**पेलो कारण, की तु 42 साल को है, तने अपनी जिम्मेदारी समझणी चाईजे!*
*दूसरो कारण, तु स्कूल को प्रिंसिपल है !*
🙄🙄😝😝😅😜🤓😎-
एक भाई साहब लखनऊ से अपने भतीजे के निकाह के लिए कानपुर पहुचे..
भाई साहब दो दिन से देख रहे थे कि रोज दावत में उनको खाने मे अंडे ही दिए गए..
..सो तीसरे दिन उनका सब्र टूट गया और उन्होंने अपने समधी से पूछ ही लिया..:
..जनाब, ये अंडे तो अपनी जगह ठीक हैं, पर इनके वालिद कहाँ हैं..!
...उनसे भी मुलाक़ात कराईये..!!
.ये होती है लखनवी तहजीब
समधी भी पक्का कनपुरिया था
उसने कहा ..जनाब...यह यतीम हैं। 😂😂😂😂-
महात्मा जी बोले "मैं तीन तरह के लोगों से ज्यादा बदकिस्मत किसी को नहीं मानता।
पहला = जो पुराने कपड़े पहनता है जबकि उसके पास नए कपड़े हैं
दूसरा = अगर उसका घर गेहूं के डिब्बे से भरा होता लेकिन फिर भी वह भूखा रहता है।"
इतना कहकर महात्मा चुप हो गए और उनकी आंखों में आंसू भी आ गए।
एक भक्त ने पूछा, "अब मुझे तीसरा व्यक्ति बताओ जिसे आपने बताया है।"
तब महात्मा ने कहा कि *तीसरा व्यक्ति वह है जो धन होते हुए भी अपनी पत्नी के भय से शराब नहीं पीता !*
बस इतना सुनना था कि कार्यकर्म में कई लोगों के रोने की आवाज गूंजने लगी। 😂😂😛😛😂😂-
एक बार डाकूओ ने कवि सम्मेलन से लौटते कुछ कविओं का अपहरण कर लिया । कवि बेचारे गिड़गिड़ा कर दुहाई देने लगे कि कोई उनके लिए 100 रूपये की फिरौती भी नहीं देगा ।
डाकूओ के सरदार ने कहा, कोई बात नही, हम हमारी मेहनत बेकार नही जाने देंगे और हुक्म दिया कि कवि सम्मेलन का आनंद उन्हें भी दिया जाए।
कविओं ने सहर्ष एक से एक बढ़िया कविता प्रस्तुत की । डाकूओं ने भरपूर आनंद उठाया और खुश हो कर सोने के आभूषण प्रदान कर उन्हें विदा किया ।
कवि बहुत खुशी खुशी घरों को चल पड़े । थोड़ी ही देर में डाकू ओं का वही दल आकर उनसे दिए गए आभूषण लूट लिए । कविओं को आश्चर्य में देख सरदार ने कहा कि आपको पुरस्कृत करना हमारा कर्तव्य था और आपको लूटना हमारा पेशा है।
इस कहानी का दिल्ली की मुफ्त बिजली पानी योजना से कोई लेना देना नहीं है
😅😅
चोरी की पोस्ट नहीं है, पोस्ट डाका डालकर लाई गई है केवल आपके लिए.
😂😂😂-
पहलवान की हेकड़ी
फुटपाथ पर भीड थी।
पहलवान अपने दिलचस्प कारनामों को दिखाकर बेशुमार तालियाँ बटोर रहा था।
उसका अगला कारनामा था - 'नीबू निचोड'
उसने पूरी ताकत लगाकर इस कदर नीबू को निचोड डाला, कि उसमे रस का एक कतरा भी नहीं बचा।
उसने सबको चैलेंज किया - तुममें से अगर कोई इस नीबू से अब एक बूँद भी निकाल कर बता देगा, तो मैं आजीवन उसकी गुलामी करूँगा।
भीड में से एक दुबले से सज्जन निकले और नींबू हाथ में लेकर उन्होंने एक नहीं,
पाँच बूँदें टपका दीं।
यह देख पहलवान पसीना-पसीना होकर बोला - भाई ! आप कौन हैें ?
सज्जन बोले -
जी... मैं इंटरसिटी एक्सप्रेस में मूंग दाल बेचता हूं ।
😀😊☺🤪😆😜😜-
एक बार पप्पू बस मे चढ़ा कंडक्टर:- टिकट .
पप्पू:- 2 दे दो सोनीपत कि
कंडक्टर:- दूसरी सवारी कहाँ हैं पप्पू:- कहीँ नहीँ
कंडक्टर:- तो दो टिकट कयू???
पप्पू-:- भाई एक खो गयी तो दूसरी काम तो आयेगी
कंडक्टर:- छेड़ते हुए "भाई दूसरी भी खो गयी तो ????
पप्पू:- तो एक टिकट मैंने बस अड्डे पर भी तो ली थी
कंडक्टर:- फिर से छेड़ते हुए "भाई वो भी खो गयी तो ???
पप्पू:- जेब से पास निकालते हुए ,तेरे फूफा नै पास बनवा रखा हैं ये किस दिन काम आयेगा
कंडक्टर:- यार अजीब पागल इंसान हैं फ़िर भी चल थोड़े और मजे लेता हुं इसके,
अच्छा भाई साहब मान लो पास भी खो जाये तो ?
पप्पू:- तो क्या मैं हरायाणा रोडवेज़ का कर्मचारी हुं हमारी टिकट हि नहीँ लगती
कंडक्टर कोमा मे हैं..!!-