शिक्षक हूं....
शिक्षा की अलख जगाना चाहता हूं।
मैं फिर से ....
कृष्णन के सपनों का भारत बनाना चाहता हूं ।
माटी के कण - कण में यहां देशभक्ति की लौ जलाना चाहता हूं ।
रोम - रोम में हर बच्चे के इंसानियत बिठाना चाहता हूं ।
हां मैं शिक्षक हूं.....
शिक्षा की अलख जगाना चाहता हूं।
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नासमझ भी हूँ मग़र बद्तमीज़ नहीं ।।
इश्क़ है लफ़्ज़ों से और कलम से है मो... read more
तुमने ही सिखाया था
इत्र सा महकना ।
तुमने ही सिखाया था
चिड़ियों सा चहकना ।
तुमने ही दिखाया था
वो नाचता हुआ मोर ।
तुमने ही सुनाया था
वो गोधूली बेला का शोर ।-
गम के ख़त के चारों कोने जानते हैं दर्द को ।
मन के ये भाव सूने जानते हैं दर्द को ।।
दर्द ही में ढल रहे और दर्द ही में खिल रहे ।
औने पौने कर्म सारे जानते हैं दर्द को ।।
आँख में ठहरा वो पानी जानता है दर्द को।
हलक में अटका वो जानी जानता है दर्द को ।।
दर्द ही को पी रहे और दर्द ही को जी रहे ।
दर्द बांधे मुट्ठी में हम मुफलिसी को सी रहे।।
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remembering someone every moment and still unable to reach out.
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ख़ुद में ख़ुद को पहचाने कौन।
हर शख़्स यहाँ बेतरतीबी पेश आता है,
रूठे हुओं को यहाँ कौन मनाता है ।
ख़ुदा से ज़िक्र करें तो किसका करें,
वो तो हर रोज़ रूह की रूह से मुलाक़ात करवाता है।
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आ जाओ तुम कभी के चाय की चुस्कियों के संग बातें चन्द करलें ।
हो न सकेंगी जो मुक़्क़मल कभी वो मुलाक़ातें चन्द करलें ।-
वो सूत्र ही अब नहीं रहे जो मंगल हुआ करते थे।
बिना फेरों के रिश्ते भी कभी चंदन हुआ करते थे ।।-
तेरे इश्क़ में मैं इस क़दर बेख़ौफ़ हो जाऊँ,
तू जो हाँ कह दे तो मैं हिन्दू से मुसलमाँ हो जाऊँ।
तू शिव की आदि शक्ति सी मुझमे समाई रहती है,
ख़ुदा करे के मैं तेरा मक्का-मदीना हो जाऊँ।
मरुस्थल की मृग तृष्णा सी चाहत मेरी,
दिल ये चाहे के मैं तेरा समंदर हो जाऊँ।
तू किसी और की रातों का जुगनू सही,
काश कि मैं तेरी आँख का काजल हो जाऊँ।
कौन जाने के क्या लिखा है तक़दीर में मेरी,
मैं ये चाहूँ के तेरे माथे की बिन्दी हो जाऊँ।
तेरी आँखों की रूहानियत से इश्क़ हुआ है मुझे,
दिल ये चाहे के मैं तेरे लबों की मुस्कान हो जाऊँ।-
जिस्म से तो लिपटते हैं कई चेहरे
कोई मेरी रूह से लिपटे तो सुकूँ आये ।
शतरंज की चाल चलते हैं कई मोहरे
कोई मुझे रानी बना के ले जाये तो सुकूँ आये ।
मेरे शब्दों को तो सुनते हैं कई परदे
कोई मेरी आँखों को पढ़ पाये तो सुकूँ आये ।-
उसे ये ख़ौफ़ के नाम साथ कहीं आया हमारा तो शहर भर में बवाल हो जाएगा ।
मैं यूँ बेख़ौफ़ के चलो कुछ तो कमाल हो जाएगा ।।
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