Jyotsna   (Jyotsna Khilare)
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Joined 20 May 2021


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Joined 20 May 2021
5 JUL 2021 AT 9:55

यूंही नही बहते आंखो से दर्द आंसू बनके कभी।
उनको भी जताना होता है एहसास,
बूंद की लहरों में उमड़ती भावनाओं के सागर मे तभी।

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2 JUL 2021 AT 10:33

कुछ खास बनने का,
और अब के हालात ऐसे हैं
भीड़ से अलग होके कुछ अलग कर दिखाने का।

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27 JUN 2021 AT 21:05

मैं क्यों झुकू।
मुझ में अभी इंसानियत इंसानियत है बाकी,
किसी रोते बिलखती रोते बिलखते
अनजान को मदद करके देखू।

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27 JUN 2021 AT 19:35

में माता पिता और गुरु होते हैं जज।
जो करते हैं रास्ता भटकने पर,
प्यार और सच्चाई की बेड़ियों में अटकने की शिक्षा दर्ज।

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25 JUN 2021 AT 22:15

किसको दूं सबूत घर वापस आने का।
और किससे करूं आरजू,
दो प्याले गरमा गरम चाय का।

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25 JUN 2021 AT 22:13

नाकारने के रफ्तार की इंतेहा।

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20 JUN 2021 AT 15:03

जीवनधारा मैं मुख्य समीक्षक।

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20 JUN 2021 AT 15:01

घर का अधिपति विष्णु सूरज अग्नि वायु।
जिनके चारों ओर मंडराएंँ पूरे घर का ब्रह्मांड,
ग्रह तारे।

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17 JUN 2021 AT 22:15

झंझट में पड़़ने से अच्छा,
मान जाने में होशियारी।

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16 JUN 2021 AT 23:18

तूआती क्यों नहीं।
और अगर आ भी जाएं,
तो जल्दी से जाती क्यों नहीं।

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