यूंही नही बहते आंखो से दर्द आंसू बनके कभी।उनको भी जताना होता है एहसास,बूंद की लहरों में उमड़ती भावनाओं के सागर मे तभी। -
यूंही नही बहते आंखो से दर्द आंसू बनके कभी।उनको भी जताना होता है एहसास,बूंद की लहरों में उमड़ती भावनाओं के सागर मे तभी।
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कुछ खास बनने का,और अब के हालात ऐसे हैंभीड़ से अलग होके कुछ अलग कर दिखाने का। -
कुछ खास बनने का,और अब के हालात ऐसे हैंभीड़ से अलग होके कुछ अलग कर दिखाने का।
मैं क्यों झुकू।मुझ में अभी इंसानियत इंसानियत है बाकी,किसी रोते बिलखती रोते बिलखतेअनजान को मदद करके देखू। -
मैं क्यों झुकू।मुझ में अभी इंसानियत इंसानियत है बाकी,किसी रोते बिलखती रोते बिलखतेअनजान को मदद करके देखू।
में माता पिता और गुरु होते हैं जज।जो करते हैं रास्ता भटकने पर,प्यार और सच्चाई की बेड़ियों में अटकने की शिक्षा दर्ज। -
में माता पिता और गुरु होते हैं जज।जो करते हैं रास्ता भटकने पर,प्यार और सच्चाई की बेड़ियों में अटकने की शिक्षा दर्ज।
किसको दूं सबूत घर वापस आने का।और किससे करूं आरजू,दो प्याले गरमा गरम चाय का। -
किसको दूं सबूत घर वापस आने का।और किससे करूं आरजू,दो प्याले गरमा गरम चाय का।
नाकारने के रफ्तार की इंतेहा। -
नाकारने के रफ्तार की इंतेहा।
जीवनधारा मैं मुख्य समीक्षक। -
जीवनधारा मैं मुख्य समीक्षक।
घर का अधिपति विष्णु सूरज अग्नि वायु।जिनके चारों ओर मंडराएंँ पूरे घर का ब्रह्मांड,ग्रह तारे। -
घर का अधिपति विष्णु सूरज अग्नि वायु।जिनके चारों ओर मंडराएंँ पूरे घर का ब्रह्मांड,ग्रह तारे।
झंझट में पड़़ने से अच्छा,मान जाने में होशियारी। -
झंझट में पड़़ने से अच्छा,मान जाने में होशियारी।
तूआती क्यों नहीं।और अगर आ भी जाएं,तो जल्दी से जाती क्यों नहीं। -
तूआती क्यों नहीं।और अगर आ भी जाएं,तो जल्दी से जाती क्यों नहीं।