चंद सांसे खरीदने के लिए
रोज थोड़ी थोड़ी जिंदगी बेचनी पड़ी-
दिन की वो बात अधूरी रह गई
गले तो हम मिले, पर बात अधूरी रह गई
ना गिला मेरा रहा,ना शिकवा तुमने किया
मगर एक रात थी वो रात अधूरी रह गई-
मुझको भी, मेरे बाद
कोई तो, लिखता होगा
जैसे तुम्हारी, एक शाम को
मेरी कई रात लिखें
तुमको छूना क्या
तुमको पाना क्या
खुद की तसल्ली के लिए
तुमको,मेरे कई हाथ लिखें
तुमको लिखना जैसे,
जिंदगी को जीना हैं
हम भी, अपनी सांसों के लिए
तुमको कई बार लिखें
मुझको भी, मेरे बाद
कोई तो लिखता होगा-
एक एहसास
मैं जो आंखों से नहीं हूं
मैं जो हर आवाज को
तेरा चेहरा समझूँ
मैं क्या महक लूं
कि तेरा खुशबू
मुझमें बिखर जाए
मैं क्या छूकर.
कुछ. एहसास करुं
कि हम पारस हो जाएं
मैं क्या सुन लूं
तेरे होंठों से जैसे
जिंदगी को कई बार. देखा हो
मैं जो आंखों से नहीं हुं
मैं जो हर आवाज को
तेरा चेहरा समझूं
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करता नहीं कोई कद्र यहाँ किसी के एहसासो की
हर किसी को फिक्र है बस मतलब के ताल्लुकतो की-
हक उतना ही जटाइये जितना की जायज लगे
रिश्ता फेरों का हो या मोहब्बत का घुटन ना लगे-
वो जख्म जो इलाज की हद से गुजर गए
तेरी नजर के एक इशारे से भर गए-
अब तुम ही बताओ दोस्त
किस मुँह से सुलह करू
झगड़ा भी तो नहीं हुआ-
हम अइसन कब्बो न होये देब
ई दिल तुहार जिंदगी तुहार
आपन हम सब कुछ तोहके सौप देब-