एक जीवन था, जिसका सपना था,
बचपन की वो खिलखिलाती हसी में जीता था,
वो जवानी की परेशानी में घुटता था,
कुछ पाने की चाह में भागता था,
वो हमसफ़र की खोज में घूमता था, वो जीवन था।
छोटी छोटी खुशियां ढूंढता था,
वो यारों संग मस्ती करता था,
वो कुछ सपने आंखों में लिए चलता था, वो जीवन था।
ये दुनिया घूमी, कई लोग मिले, कई काम किए, कई मौसम देखे,
कुछ सपने सचे हुए, कुछ टूटे,
कुछ हमराही मिले, कुछ छूटे,
पर चलता रहा, वो जीवन था।
कुछ अपने थे, वो चले गए,
कुछ पराये थे, वो अपने हुए,
कुछ साथी बीच राह बिछड़ गए,
कुछ साथी खून के रिश्तों से बड़े हुए,
कुछ पहाड़ चढ़े, कुछ नदियां पार की, कुछ मुश्किलों से लड़े,
कभी गिरते रहे, फिर उठ कर चलते रहे,
पर जो सदा आगे बढ़ता रहा, वो जीवन था।।
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