Jyotsana Kaushal   (फ़राख़ दिल 'जोश़')
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Biochemist, Research Scholar,
Love for poetry, food and science. 😍😇
Joined 19 September 2018


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6 SEP 2021 AT 20:10

रात की खामोशियों में ख़ुद को ढूंढने निकलता हूं,
दिन भर के शोर से परे, कुछ पल अपने साथ बैठता हूं,
आखों को बंद किए रात के पैगंबरों को सुनता हूं।
अजीब सा सन्नाटा रहता है, कभी बाहर कभी भीतर।
इस सफ़र के मंज़रों को ताकता हुआ,
खुद ही को आंकता हुआ,
इस जीवन का मक़सद खोजता हुआ,
अपने ही रास्तों में खोया सा चलता हुआ।।

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23 MAY 2021 AT 15:17

इक तूफ़ान आने को है,
हवा कुछ तेज़ है
और सूरज भी छुप सा रहा है,
बादलों में गर्जन भी होने लगी है,
अंधेरा गहराने भी लगा है,
क्या है कि इन आंखों के बाहर और अंदर का मंज़र
कुछ एक सा है!!

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12 SEP 2020 AT 11:43

चाही थी मोहब्बत इस ज़माने से,
किसको पता था वो साथ ज़ख्म लेकर आएगी,
कुछ तो समय ने भर दिए,
कुछ कुरेद कर नासूर कर दिए।
ये ज़ख्म नहीं है मोहब्बत के,
ये सबूत हैं उस जंग के,
जो दिलों में छिड़ी रहती है,
जिसका शोर नहीं होता,
बस सीने में सिहरन रहती है,
अरे! जो आसानी से नसीब हो जाए
वो भी क्या मोहब्बत है,
दो चार जनाज़े निकलना तो लाज़िम है,
फ़र्क बस इतना है,
हर बार जनाज़ा हमारे दिल का ही उठता है।।

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12 SEP 2020 AT 10:41

ज़िंदगी की राहों पे चलते हुए
जाने कब इतना दूर आ गए
कि वो बचपन, वो मासूमियत
वो छोटी छोटी खुशियों में फुदकता हुआ दिल
वो मोहब्बत की पहली दस्तक
वो यारों संग मस्ती के पल
कुछ एहसास जो नए थे
फूलों से खिले हुए वो दिन थे
नए जीवन की उत्सुकता से भरे
चमकती आंखों के वो सितारे
किसी मोड़ पे ही रह गए
कहीं छूटते से जा रहे हैं सब
कहीं पंहुचने की दौड़ में
दूसरों से क्या खुद से भी दूर हो रहे हैं अब।।

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23 AUG 2020 AT 1:04

तू कौन है, तू क्या है,
ये आस पास जो लोग हैं वो कौन हैं,
वो तेरे हैं या तू उनका है,
तू उनका है या वो तेरे हैं,
ये सवाल है या सच है,
जो तेरे लगते हैं वो किसके हैं,
जो अपने लगते हैं वो किसके हैं,
या कोई किसी का भी नहीं है,
ये अंधेरा है और सब खाली है,
मैं हूं, बस मैं!!

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14 JUN 2020 AT 19:16

एक जीवन था, जिसका सपना था,
बचपन की वो खिलखिलाती हसी में जीता था,
वो जवानी की परेशानी में घुटता था,
कुछ पाने की चाह में भागता था,
वो हमसफ़र की खोज में घूमता था, वो जीवन था।
छोटी छोटी खुशियां ढूंढता था,
वो यारों संग मस्ती करता था,
वो कुछ सपने आंखों में लिए चलता था, वो जीवन था।
ये दुनिया घूमी, कई लोग मिले, कई काम किए, कई मौसम देखे,
कुछ सपने सचे हुए, कुछ टूटे,
कुछ हमराही मिले, कुछ छूटे,
पर चलता रहा, वो जीवन था।
कुछ अपने थे, वो चले गए,
कुछ पराये थे, वो अपने हुए,
कुछ साथी बीच राह बिछड़ गए,
कुछ साथी खून के रिश्तों से बड़े हुए,
कुछ पहाड़ चढ़े, कुछ नदियां पार की, कुछ मुश्किलों से लड़े,
कभी गिरते रहे, फिर उठ कर चलते रहे,
पर जो सदा आगे बढ़ता रहा, वो जीवन था।।

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6 APR 2020 AT 21:38

इस जगमगाती रात का आलम तो देखो,
इक चांद आज अकेला है, दूसरे हम तुम।।

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23 MAR 2020 AT 20:39

कुछ दिन से यूं है कि एक पल ना बैठा अपने साथ हूं मैं,
दिन रात की भाग दौड़ में कुछ लिखना भूल बैठा हूं मैं,
फिर आज सोचा कि कुछ चित्र उतारता हूं,
जो मन में हो वो खोज निकलता हूं,
जब कागज़ कलम लिए अब बैठा हूं,
तो मन में कोई तस्वीर नज़र नहीं आती है,
अनायास ये डर सा घर कर आया है,
अपने मन की गहराई कहीं खो आया है,
अब यूं खाली सा बस बैठा हूं,
अंधेरे के इस बढ़ते खालीपन में,
जीवन के इस भंवर में।।।

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18 FEB 2020 AT 10:56

With your hands in mine, Destiny seems to be true,
Life seems to make sense, My heart fills with joy,
My eyes sparkle with happiness,
We do have our sad moments, we fight,
we argue, but we always understand.
We listen to the other,
We make way and support each another.
Even with this distance, you and I we make us,
You make me shine, my love
and when you stand next to me, love finally makes sense..

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10 JAN 2020 AT 23:20

आज तुम्हारा भी अंदाज़ कुछ अलग है, ख़ास है,
शायद तुम्हें भी उसके आने की खबर मिल ही गई।।

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