Jyotsana kachave   (Jyotsana kachave "सना")
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Joined 10 June 2018


Joined 10 June 2018
25 MAY 2020 AT 9:40

कुछ इस क़दर ये दिल ईदी का हकदार हुआ
मैं मंदिर से निकलीं और चाँद का दिदार हुआ

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10 MAY 2020 AT 13:51

घुम ली सारी दुनिया तेरे मुस्कुराते चेहरे सा कोई नज़ारा नहीं
तु हँसती रहा कर माँ, तेरा उदास रहना मुझे गवारा नहीं

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6 MAY 2020 AT 23:55

लाल सिंदूर और काले धागे से खुद को सजाऊंगी
तुम ले आना वो काँच की हरी चुड़ियाँ, मैं उसी से तेरी दुल्हन बन जाऊंगी

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15 APR 2020 AT 23:53

ना कोई गिला, ना शिकवा, ना शिकायत है
दर्द आँसू तकलीफ,अब तो इन सब की आदत है

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4 APR 2020 AT 20:40

अखबारों की समाज संग सुलह किजिए
गुनाहों की नही,अमन की भी जगह किजिए

किसी इंसान का बेदर्दी से वास्ता ना हो
हर तरफ उन्नति की नई सुबह किजिए

अहल-ए-दिल का दिखावा बहुत कर चुके
कभी सुकून-ए-दिल कि वजह किजिए

सच्चाई और अच्छाई का दरिया बनकर
नेकी से हर बुराई पे फ़तह किजिए

कभी भी गुनाह कि हलचल हो "सना"
उठाकर कलम पन्नों को स्याह किजिए

Jyotsana Kachave "सना"

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3 APR 2020 AT 18:52

कदर करने वाले को कहा वफ़ाई मिलती है
वफ़ा के बदले उसे तो बस बेवफ़ाई मिलती है

आरज़ू-ए-सबूर दिल करे कैसे
जब सूझबूझ को अश्क़ों संग रिहाई मिलती है

उस रात को सहर-ए-तलब कहा
ख्वाबों में भी जिसे तन्हाई मिलती है

निगाह-ए-शोख़ से मत देख "सना"
इश्क़ वालों को अक्सर जुदाई मिलती है

बेनाम रिश्ते का कोई तलफ़्फ़ुज़ नही होता
मोहब्बत के नाम पर बस रुसवाई मिलती है

Jyotsana Kachave "सना"

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2 APR 2020 AT 22:04

ये अनजानी राहें मंजिल सी लगती है
अब तन्हाई भी मुझे महफ़िल सी लगती है
ये फिज़ाएँ मानो कोई खुबसूरत किस्सा दोहराती है
वो मेरा ही एक हिस्सा है ये एहसास दिल में जगाती है
अब हर पल मेरा दिल बेचैन रहता है
एक अजनबी आजकल मेरे दिल में रहता है

किसी खुश्बू सा वो मेरी साँसों में घुलता है
वो बनके सपना मेरी आँखों में पलता है
में आइना देखु तो वो मेरे रूप में निखरता है
कभी बनके स्याही वो पन्नों पे बिखरता है
उसके ख्यालों में मेरा सारा दिन गुज़र जाता है
एक अजनबी आजकल मेरे दिल में रहता है

मेरी दुआओं में अब उसकी ख्वाहिश रहती है
वो सिर्फ मेरा बनके रहे ये गुजारिश रहती है
इन निगाहों से अश्क़ों का कारवाँ बहता है
इश्क़ बयां ना होने का पछतावा खलता है
ये दर्द मुझे हर वक़्त तड़पाता है
एक अजनबी आजकल मेरे दिल में रहता है
--Jyotsana Kachave "सना"

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1 APR 2020 AT 19:05

ये सफ़र मेरा है
मेरा हमसफ़र भी मैं ही हूँ
चलना है मुझे जिस राह पर
वो रहगुज़र भी मैं ही हूँ

चलते जाना है मुझे
आगे बढ़ते जाना है
आए जो मुसीबत राह में
उसे सबक सिखलाते जाना है

ये राह मेरी है
मेरा रहबर भी में ही हूँ
बुझा सके जो प्यास मेरी
वो समंदर भी मैं ही हूँ

गिरते जाना है मुझे
संभलते जाना है
चाहे जो भी हो परिणाम
मुझे मेहनत करते जाना है

ये हिम्मत मेरी है
मेरी ताक़त भी मैं ही हूँ
आराम दे जो दिल को मेरे
वो राहत भी मैं ही हूँ

उम्मीद करते जाना है मुझे
कदम बढ़ाते जाना है
ये ज़िन्दगी मेरी साथी है
मुझे साथ निभाते जाना है

Jyotsana Kachave "सना"






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31 MAR 2020 AT 21:47

ये कैसा विष घुल गया है विचार में
आजकल नशा बिकता है बाज़ार में

न जाने किस तरह का सौदा हुआ है ये
कि मानव खुद ही निलाम हुआ भ्रष्टाचार में

कोई सही गलत का फर्क नहीं समझता
जब वो चूर हो अपने अहंकार में

जाहिल ही रह गया संसार "सना"
किसीने कुछ भी ना सिखा शिष्टाचार में

इंसान खो चुका है अपने आदर्श संस्कार
अब तो छल ही छल दिखता है उसके आचार में

Jyotsana Kachave "सना"

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30 MAR 2020 AT 23:42

जी तो चाहता है रोक लू इस लम्हे को,
पर कम्बख्त वक़्त है कि ठहर नहीं सकता

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