Jyotsana Arora   (© Jyotsana Arora)
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Joined 3 January 2019


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Joined 3 January 2019
5 APR AT 14:56

प्रेम,
जिसको समेट लिया यादों की तरह,,,

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3 APR AT 16:13

सुलझ रहा है धीरे धीरे इन शब्दों का जाल,
अब केवल रिश्तों से दरकिनार होना बाकी है,,,,

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20 FEB AT 23:14

वक्त - बेवक्त,
जाने - अंजाने में,
ना जाने क्यूं होती है
मुलाकात...
उस शख़्स से अक्सर,
जिसके साथ रहती
आधी - अधूरी
ये जिंदगी...

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20 FEB AT 23:04

लेकिन
फिर भी मोल लग जाता है,
कभी मान का,
कभी सम्मान का,
कभी विश्वास का तो
कभी कभी स्वयं प्रेम का,,,

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3 FEB AT 15:32

दर्द देने के लिए,,,

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25 JAN AT 16:02

को समझते समझते,
जिंदगी गवां बैठे हम,,,

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25 JAN AT 15:40

फिर भोर हो गई
उसी एक इंतजार में,
तुम और तुम्हारी याद
हमेशा अकेला कर जाती है..

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17 JAN AT 11:36

एक कशिश,
जिसकी चाह में बीत गया जीवन सारा,

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5 JAN AT 23:20

कुछ बूंदे इच्छाओं की,
करती अठखेलियां
बहती हवाओं सी,

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30 DEC 2023 AT 8:32

ने कलम को फिर से भर दिया,
दर्द से हुए सराबोर तो
आंँखों को यूं ही नम कर दिया,
समझ नहीं आया ये
इल्ज़ाम क्यूं लगा इस गलती का,
तेरी मोहब्बत ने हमें
अपनी नज़रों में नीलाम कर दिया,

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