आ कर बैठो तो थोड़ा पास सही
कहनी है तुमसे बात कई
थाम के मेरे हाथ अगर सुन लो मेरे जज़्बात
हम यहीं बैठे रहें और कट जाए रात कई
आ कर बैठो तो थोड़ा पास सही
देख रही हो ये चाँद पटल पर
ये भी मुझसे जलता है
जब तुम आकर बाहों में
थोड़ा झेंप के हँसती हो
कहीं दूर कोई चकोर वियोग की आहें भरता है
तुम आ कर बैठो तो थोड़ा पास सही
कहनी है तुमसे बात कई........
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