Jyoti Verma  
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Joined 28 March 2020


Joined 28 March 2020
23 NOV 2022 AT 10:17


हमारा प्यार आज भी ताज़ा है...
वो हाथों के मिलने का
एहसास आज भी ताज़ा है...
नया शख़्स मिलते ही तुमने
आंखें तो फेर लीं हमसे...
लेकिन मेरी नजरों में वो
तेरी नज़र आज भी ताज़ा है...
तमाशा बन तो ज़रूर गए हैं
तेरे प्यार में यूं रुसवाई का...
लेकिन...
इश्क़ बेहद था तभी
दिल में जज़्बात आज भी ताज़ा हैं...

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3 NOV 2022 AT 10:44

मैंने रख लिया है तुम्हारी यादों को
अपने दुपट्टे में कुछ गांठें लगा कर...
पायल के कुछ खनकते घुंघरुओं में
झुमके की इन झूलती लटकनों में...
जी लेती हूं हर लम्हा तुम्हारे साथ
जब तुम मेरे साथ नहीं रह पाते....

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17 OCT 2022 AT 19:37

बन गईं हैं अब तो यादें तुम्हारी...
सोचती हूं कि हटा दूंगी इस बार
लेकिन सब वो रास्ते वो जगहें
जैसे हमेशा मना करते हैं मुझे
कि....
मैं पीछे नहीं छोड़ सकती उन्हें...
ये सब मुझे सम्हालना ही है
तुम्हारे बिना और शायद...
ताउम्र....

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16 OCT 2022 AT 17:06

सब्र इन आंखों का
कि इंतज़ार में रहतीं हैं बस दीदार के तेरे...
मुस्कुराती रहेंगी जब तलक तुम ना आओगे
कि छलकेंगी बस ये सीने से लग के तेरे.....

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21 SEP 2022 AT 13:05

मेरे आंचल की सिलवटों में है...
ये सिहरन प्यार की
मेरे होंठों की कश्मकश में है...
तेरे आने की दस्तक कुछ यूं बता देती है मुझको
कि....
दिल ए नादान भी सम्हल जाएगा अब देर नहीं
कि सुकून इसको भी तेरी इन बाज़ुओं में है....

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17 SEP 2022 AT 23:30

उसकी ख़ुशी में साथ चहक जाना...
आंसुओं से भरी आंखों में झांक कर
उसके लबों की मुस्कान बन जाना...
ज़िन्दगी में दर्द हो अगर उसके
तो मरहम बन उस दर्द को मिटाना...
प्यार सिखाता है किसी की रूह में
रूह बन कर समा जाना...

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2 SEP 2022 AT 10:26

हर बात पर ऐतराज़गी अच्छी नहीं...
बेवक्त बेवजह ज़रूरी हो तुम मेरे लिए
लेकिन...
ख़ुद को तुम खुदा बना लो
ये ख़ुमारी भी अच्छी नहीं....

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22 AUG 2022 AT 11:10

लेकिन जीना पड़ जाए तो क्या...
अपनों की ख़ुशी के लिए
नासमझ बनना पड़ जाए तो क्या...
समझ कर हालात आंसू आ रहे हों
लेकिन...
उन्हें नासमझी की मुस्कुराहट
बनाना पड़ जाए तो क्या....

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22 JUL 2022 AT 10:29

बदलती हैं ज़रूरत के हिसाब से...
आज अगर तुम में रंग हैं बेहिसाब
तो उसके लिए...
कल कोई और चमकीला हो जाएगा....

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19 JUL 2022 AT 23:05

मैंने सिर्फ़ तुमको चुना...
उम्मीदों के इस रिश्ते को
विश्वास के धागों से बुना...
दिखावे के सच और
चाशनी से झूठ में डूबे रहे हम...
तुम जब खेल गए इस दिल से
तो फिर टूटे हम कई गुना...

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