बंद हुए जब दरवाजे सारे तो एक द्वार पर खड़ी हुई
नयन खुलत ही देखा मैने उनकी दृष्टि मुझपे पड़ी हुई
मनभावन है नाथ हमारे हाथ कबहुँ न छोड़त है
पकड़ लेत जो हाथ एक बार साथ कबहुँ न छोड़त है।-
तो असल ज़िंदगी से करो
हा माना रुलायेगी बहुत
मगर सिखाएगी भी इतना
की पानी से भी आंशु अलग करना आजाएगा ।-
कोई गुमनाम नज़र आता है
मै न देखू फिर भी हर बार नज़र आता है
हर बार देखने की तमन्ना-ए-जुस्त्जु बहुत है
सुकून का चाँद वो बेशुमार नज़र आता है
नज़र मिला कर नज़र भर को देख लु फिर भी
हर बार देखने पर भी गुलजार नज़र आता है
हर तरफ़ साया हो जैसे कोई इत्र-ए-बगान नज़र आता है..
-
क्या चाहिए जीने के लिए बस कुछ साँसे , चंद लम्हे और कुछ भी तो नही,
क्या ख्वाहिश करोगे और जमाने से ये नरम लहजा खास अल्फाज़ कुछ भी तो नही ..-
बारिश चल रही है रोज कई हादसे होते है
काश कोई खूबसूरत हादसा मेरे साथ भी हो जाये
अब थक गयी यार ,और नही झेला जाता अब
इतनी बेकार हो गयी खुद की गुनहगार हु अब ..-
मै कुछ कह सकू ऐसे तो मेरे हालात नही,
तुम समझ सको ऐसे अब तुम्हारे जज़्बात नही ।-
मुझे यकीन नही होता मगर करना होगा
अब अकेले ही इस आग में जलना होगा
कब तक तुझसे तेरे प्यार की भीख़ मांगू
मुझे मेरी राहो में तन्हा ही चलना होगा ।-
हमे कई सबक सिखा रहे है,
खुद को हि खुद का हमदर्द बता रहे है
जो गुरूर करते थे लोगो पर तो सबक सीखा है
लगता था जो अमृत असल मे वो ज़हर मीठा है ।-
मेरे अंदर के दर्द को सुकून कोई तुमसा नही ,
मै खुद से हि खफा और गुरूर कोई तुमसा नहीं ।-
तुमने रोका नही एक पल को भी खाक होने दिया ,
मेरे आंशुओ को मैने भी बहाकर पाक होने दिया ।-