jyoti raj  
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Heart of darkness
Instagram:@jyotiraj1892
Joined 5 March 2018


Heart of darkness
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25 MAR 2023 AT 0:34

कुछ तो ख़ास रिश्ता है कुदरत और हमारा
आज चाँद का दीदार हुआ और कल होगा तुम्हारा

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8 MAR 2022 AT 8:22

रीती रिवाज का ताना कस
तुम मेरा ना इतिहास रचो
मैं भूतकाल की सोच नहीं
मैं कल की तैयारी हूँ
मैं आज की नारी हूँ

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22 JAN 2022 AT 12:20

यह टूटी दीवार मेरे दिल का आईना दिखाती है
इसको चिटकता देख दादा जी की बहुत याद आती है
दादा जी ने इसका महत्व तब मुझे समझाया था
खुश होकर, उन्होंने जब मिस्त्रियों से यह बनवाया था
लिख नाम मेरी पोती का ऐसे,ज़िसे कोई ना मिटा पायेगा
अगर चला गया दुनिया से मैं ,यह मेरी याद पोती को दिलाएगा

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22 MAY 2021 AT 0:34

रिशतो के भ्रम रखे तो मैने
जो थे तो मगर थे नहीं मेरे

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4 FEB 2021 AT 6:46

दिल मे है जो बात ,उसे कह लेने दो
बहुत हो गए सवाल ,अब जवाब भी देने दो

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3 JUN 2020 AT 20:14

ना कर इतना आतंक
इंसानियत खत्म हो जाये
ले बदला फिर तुझसे यूँ
धरती भी वही दोहराये

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2 JUN 2020 AT 0:51

मिठी रूई ,खट्टी इमली ,रंगीन गुब्बारा अब कौन लाएगा
नाजाने कब वो सौदागर,मेरी गली फिर वापस आएगा

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10 MAY 2020 AT 14:46



ज्योति राज

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9 MAY 2020 AT 17:05

पाया तुझे कठिनाइयों से
मुरादो से ,प्राथनाओं से
गर्भ के अन्दर वो उगता बीज
ले आता तुझे मेरे पास है
माँ होने का अहसास ,इसलिए कुछ खास है


उसी के बारे मे सोच सोच कर
समय कैसे निकल जाता है
उसकी न्नही ऊंगलियों का मुझे छू ना
करवटे बदलना ,माँ पुकारने की आवाज हैं
माँ होने का अहसास ,इसलिए कुछ खास है


मन ही मन तुझे पालने मे झूलते देखती हूँ
तरह -तरह के नाम बाबू ,सोना सोच खूब थिरकती हूँ
हैं पीडा भरे दिन ,कभी जागती कभी सोती हूँ
बीत जाएंगे यह भी सारे दिन ,जब तू मेरे साथ हैं
माँ होने का अहसास ,इसलिए कुछ खास है

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18 APR 2020 AT 18:37


काफिला
कुदरत ने कैसे कर दिया सब बयाबान
ना आँखों मे अश्क हैं ,ना खुल रही जुबान
यह वो हादसा जिससे कोई महरुम नहीं
उन रोते बिलखते मुसाफिर का दर्द कैसे करू बयां
ना आँखों मे अश्क हैं ,ना खुल रही जुबान


थका हारा चल रहा करता वो पलायन
पैरो में छाले ,अन्न का ना कोई नामोनिशान
सृष्टि का बदला निकला बेक़सूर पर
ना रुक रही धरती ,ना झुक रहा आसमान
ना आँखों मे अश्क हैं ,ना खुल रही जुबान


बड़ रहा है काफिला ,बड़ रही हैं रफतार
दो रोटी के लिए वो हो रहा तलबगार
यह कैसे गुनाह की सज़ा है
कुचे कुचे पर जानवर और क़फ़स मे बैठे हैं इंसान
ना आँखों मे अश्क हैं ,ना खुल रही जुबान

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