Jyoti Poonia   (Jyoti Poonia)
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कुछ सपने पूरे करने है कुछ ख्वाहिशें मीटा के!!
Joined 29 December 2021


कुछ सपने पूरे करने है कुछ ख्वाहिशें मीटा के!!
Joined 29 December 2021
19 MAY AT 1:15

जब तुम्हारे लिए फ़ैसलों ने फासले बढा दिए,
तो अब मैं करीब कैसे आऊं
दिमाग तो समझता है सारी बाते,
पर इस दिल को तुम्हारी नफ़रत कैसे समझांऊ....;)

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19 MAY AT 1:09

उसे ऐसे देख..
खुद का दिल कैसे संभाल लू ,
जी करता है उसे लोगों की नज़रों से टाल दूँ ...
कोई उसे कहे कि यूँ काला रंग पहन मेरे सामने ना आए,
या अगर आये भी तो..
लौट कर कभी ना जाये,
वरना पता चले मैं ही किसी दिन उसपर अपनी जान हार दूँ...!

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17 MAY AT 22:49

ये रोज जो आसमान में आ मुझे चिढ़ाता है,
रोज तुम्हारा मेरे साथ ना होने का एहसास दिलाता है,
तुम आओ कभी मुलाकात के लिए...
फ़िर बताऊँ मैं इस चाँद को,
कि इससे प्यारा इंसान है कोई,
जो मेरा दोस्त कहलाता है...

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17 MAY AT 22:39

एक वक़्त तक कहानियाँ सुनाई जाती है,
कुछ बाते दिल पर लगाई जाती है
फ़िर कुछ दिन अश्क बहा...
बितते दिनो के साथ कलम उठाई जाती है..!

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17 MAY AT 22:29

आसमान के इस चाँद से कहो....
इतना ना इतराये अपने आप पर,
दुनियाँ में सबके अपने-अपने चाँद हैं....:)

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7 MAY AT 16:07

कि उसने कहा अभी वक़्त है उसको घर जाने में,
मतलब कुछ शराब बाकी है उसके महखाने में...
और वो जो तुम्हे देख मुस्कुरा दे
तो समझ जाना कोई तो चाल हैं उसके युँ मुस्कुराने में...!

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28 APR AT 1:24

की मैं गलत हूँ उसे समझने में
मैं उसे झूठा कहती हूँ
पर वो तो अपना हर लफ्ज़ मे सच कहा करता था.... कहा था उसने कि... सुनो वादे ना अक्सर झूठे होते हैं
और मै उसके किए हर वादे पर यक़ीन कर बैठी थी,
कहा था उसने कि दिल इतनी दफा टूटा है
कि अब पत्थर हो चुका है...
मगर मै नादान फिर भी उससे दिल लगा बैठी थी,
बेफ़िक्र अपनी सारी बातें कहती थीं,
वो कहता था कि उसे बात याद नहीं रहती,
अक्सर चीज भूल जाया करता हूँ... और मैंने कभी सोचा ही नहीं कि वो मुझे ही भूल बैठा तो??
तो क्या... जनाब भूलने की आदत उसे है
और वो अपनी आदत से मजबूर....भुला बैठा है मुझे, मसला तो मेरा है....कि अब मै उसे कैसे भुलाऊ...!

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31 MAR AT 15:55

अगर हम तुम्हारे लिए खास नहीं,
तो कोई बात नहीं
मगर बता दूं कि मुझे बदतमीजी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं ।

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31 MAR AT 15:53

मुझे सच और झूठ के बीच का फर्क नहीं जानना,
बात तुम्हारी है और मुझे तुम अच्छे लगते थे
मुझे तुम्हारी उन झूठी आँखों पर यकीन था,
वो जो हाथ पकड़ कर तुम बाते बनाया करते थे,
मुझे वो सब सच लगती थी
नहीं साबित करना मुझे खुद को सही या तुम्हें गलत,
नहीं समझना मुझे सही और गलत के बीच का फ़र्क...
बस इतना बता दो मेरा क्या कसूर था...??

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31 MAR AT 15:49

एक चाँद था मेरा जो
बदलो मे खो गया,
वो शुरू से ही था किसी और का..
उसने कुछ वक़्त मेरे साथ बिताया,
तो लगा मुझे की वो मेरा ही हो गया :)

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