ज्योति ओंकार शुक्ला  
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Joined 25 March 2019


Joined 25 March 2019

दिल परेशान क्यों है
ये खालीपन का एहसास क्यों है
क्यों तू अपना सा नहीं लगता
क्यों तेरे मेरे दरमियान इतने राज क्यों है
क्यों अधूरी सी लगती है तेरी मेरी दास्तां
क्यों पास होकर भी तु दूर सा है
क्यों अकेले से लगते हैं हम दुनियां की भीड़ में भी
क्यों सवालो से भरी है ये किताब जिन्दगी की
आखिर क्यों.....

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तुम बैठे रहो सामने हम देखा करे तुम्हें
अहिस्ता अहिस्ता निगाहों से उतरते रहे दिल मे तेरे
कि डूब जाने की चाहत है गहराइयों तलक चाहत में तेरे
अब गर सुकून है कहीं तो सिर्फ पनाहों मे तेरे ।

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Chal khi... Ek naya aashiyan banaye...
Kuch rang kuch roshni ..kuch khawbon se sajaye..💟

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मेरे हमसफर आओ...
कि तुम बिन अधूरी है हर साज जिन्दगी की..
चूडियाँ तो हैं पर खनकती है
ये पायल भी तुम बिन छनकती नही है..
मेरे हमसफर आओ...
कि तुम बिन अधूरी है हर बात जिन्दगी की...
दिल तो है पर धडकने थमी हैं
कि तुम बिन आँखों में नमी ही नमी है
मेरे हमसफर आओ...




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.....Happy Birthday dear...
जीवन के इस नवल वर्ष मे
नव खुशियों का सृजन हो
नव उमंग, नवल रंग, नव खुशियों
मे डूबा ये जीवन पथ हो|
💟
नव उत्कर्ष, नवल रोशनी
से रोशन ये जीवन हो..
इस धरा से लेकर उस अम्बर तक
उत्कर्ष के आपका परचम हो|
💟
इस नव पर्व के नवल चाँदनी मे
प्रीत से भीगा तन मन हो..
ऐसे ही सहस्त्र वर्षों तक
रोशन आपका जीवन हो...|

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तुम हो तो है खुशियों का अम्बर
तुम बिन ये जीवन बिन बारिश सा सावन

तुम संग ही तो रोशन ये अपना जहाँ है
तुम बिन फिर कहाँ इन धडकनों मे वफा है...

तू ही तो मेरी इन मुस्कुराहटों की वजह है
तुम बिन...फिर बाकी...ये जीवन कहाँ है...!

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कैसा तूफान है ये दिल मे मेरे
जो दर्द भर रहा जीवन मे मेरे
अश्क भी अब नयनो मे ठहर से गये
मंजिलों की ख्वाहिशें अब जख्म बन गये
असफलताओं का दौर कुछ यूँ चल गया
कि दर्द का तूफान हमें तबाह कर गया...!

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बातों से तेरे बहकने लगे हैं
ख्वाबों मे तेरे ही रहने लगे हैं
अब इस जहाँ से वास्ता ही नही
तुझे ही खुदा अपना कहने लगे है

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जब वफा बेवफा हो गयी
मोहब्बत दर्द बन गयी..
खुशियाँ अश्को मे बदल गयी
रूमानी बातें तकरार बन गयी
जब उनका बार बार आना जाना
दिल के जख्मों को नासूर करने लगे
तब हमने भी कह दिया जाओ चले जाओ
न फिर कभी लौट के आओ...!

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कितने ख्वाब अधूरे रह गये
इश्क के किताबों के कुछ पन्ने अधूरे रह गये..
जिन्दगी के सफर मे कुछ साथ अधूरे रह गये
मंजिलो तक जाने वाले कुछ राह अधूरे रह गये
कितने ख्वाब अधूरे रह गये
कितने काम अधूरे रह गये..!

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