कुछ हसीन पलों को समेट लो तो कोहिनूर है ज़िंदगी
या यूं कहो हसीं के बिना बेनूर है ज़िंदगी।
कितने सारे सपने साथ लेकर चल रहे
कितने सारे वादे पूरे होने की राह तक रहे।।
हर सुलझन में और उलझती सी पहेली है ये ज़िंदगी
या यूं कहो हर राह में साथ चल रही सहेली है ज़िंदगी।
वक्त के दौड़ में हम क्यूं रुक गए हैं
ख्वाहिशों के बोझ से क्यूं,झुक से गए हैं।।
अंधेरों से नई उम्मीदों के उजाले ढूंढ़ रही है ये ज़िंदगी
या यूं कहो, खारे सागर में मीठी बूंद चुन रही है ये ज़िंदगी।।-
random thoughts and quotes.
I write what i feel strongly about.
रोज़ ख्वाबों में मिलकर यों मुझे बेचैन करते हो
मुझे नींद से जगा कर, चंद लम्हों में अमूल्य प्यार भरते हो
अब ख्वाबों से निकल कर सचमुच की राहत बन जाओ
मेरी कविताओं में जिसका ज़िक्र है, तुम मेरी वो चाहत बन जाओ।
आईना मेरे जज़्बातों का, जो तुम्हारा चेहरा दिखाता हो
दिल में झांकू कभी तो, मुझे मेरे विश्वास से मिलाता हो
अब तुम मेरा हर वो विश्वास, मेरी ताकत बन जाओ
मेरी कविताओं में जिसका ज़िक्र है, तुम मेरी वो चाहत बन जाओ।
तुम्हारे एहसाए की कल्पना भी अलग सी कंपन का एहसास देगी
जो मेरे ठिठुरते हुए शब्दों को अपने प्यार का लिबास देगी
अब तुम मेरी ज़िंदगी की बेशुमार दौलत बन जाओ
मेरी कविताओं में जिसका ज़िक्र है, तुम मेरी वो चाहत बन जाओ।
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मैं इश्क़ की शायरा हूं
रात के अंधेरों से
सितारों को चुराकर
कुछ शेर लिखा करती हूं।
उम्दा जज़्बातों को
अश्कों की स्याही से
असलियत को ख्यालों में छिपाकर
महबूब का गजलों में अदब किया करती हूं।
मैं इश्क़ की शायरा हूं
चाहत के दरिया को
रूह के प्यासे समंदर में दबाकर
दर्द की तन्हाई से
कागज़ों पे ज़िंदगी लिखा करती हूं।।-
Under the light,they stared at each other,
Contemplating the meaning of life.
Looking in each other's eyes,
They leaned forward.
First touched their foreheads,
Then their lips.
While all this,they didn't break eye contact.
They both had their first kiss,
under the moon light.
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Khud ko itna bhi mat bachaaya kar,
Baarishen ho agar,
Toh khulkar bachpan saa bheeg jaya kar..
Kaun kehta hai aakhir tak chal,
Par kuchh door toh saath nibhaya kar..
Teri aankhon se namee padh lete hain,
Kuchh baat ho toh bataya kar,
Dil nahi kam se kam
aankhein toh sahi se milaya kar,
Teri yaadon ke khajaano mein,
mujhe kahin toh chhupaya kar..
Pyaar hai kaisa bhi, bas haq jataya kar..
Khud ko itna bhi mat bachaaya kar
Baarishen ho agar,
Toh khulkar bachpan sa bheeg jaya kar..-
कुछ बात तो ज़रूर होगी जो हर बात पर कहते हो,
कोई बात नही।
दिल को समझा लेते हो ,
या दिल में जज़्बात नही।
हर पल यादों में रहते हो,
कोई पल दो पल की मुलाकात नही।
बेशक साथ चल सकते हो,
तो क्या हुआ गर हाथों में हाथ नही।
पलकों पर सपने रखते हो,
पर आंखों में नींद नही।
इश्क तो तुम भी करते हो,
क्या खुद पर ऐतबार नही?
लफ़्ज़ों के गुलाम लगते हो
जो बोले नही कोई तो प्यार नही?
रात के अंधेरे से डरते हो,
सुबह होते ही ये रात नही।
कुछ दूर चलके फिर पूछ लूंगी
कुछ बात तो ज़रूर होगी जो हर बात पर कहते हो
कोई बात नही।।
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What is more beautiful?
Confession of a lover or the unsaid words through eyes?
What is more painful?
The death of a lover or the death of love?
What is more to be remembered?
Those successful affairs or the failed lovers?-
कितनी बातें करती हो
क्या अंदर से तन्हा हो?
आओ कह दो मुझसे सब
दिल हल्का हो जाएगा।
आंखें नम हो जायेंगी
बातें कम हो जायेंगी
तुम भी सीखोगी ये तब
कैसे बस मुस्कुराते हैं,
कैसे दुनिया भर की बातों पर
बस यूं ही हंसते जाते हैं।
खुद को ऐसे दर्द ना दो
थोड़ी बातें कम कर दो
अब तुम ये मत कह देना
"ऐसी कोई बात नहीं
तुम्हे यूं ही लगता है"
तुम्हे किसने कहा की
अंदर से मैं तन्हा हूं,
तो अब मेरी बात सुनो
मैं भी तन्हा रहता हूं
और गौर से देखो मैं भी
कितनी बातें करता हूं।।
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दिलों के ज़ख्म कच्चे ही रहने दो
गर ये भर गए तो गहरे निशान छोड़ जाएंगे।।
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"ख्वाबों के परिंदे"
बस की खिड़की से झांकने पर,इक हुजूम नज़र था आ रहा
हज़ारों गाड़ियां,उन पर सवार लोग,पूछने को उनसे जी था मेरा चाह रहा:
है कौन सी मंज़िल ऐसी,जिसे पाने की चाहत में हर सुबह निकलते हैं सब
दिखती किसी के चेहरे पर मुस्कान,किसी पर थकान,
लौटते हैं जब।
बस का शीशा ताकने पर दिख रहा है अपना अक्स जो
खो गया है इस हुजूम में,लग रहा है ऐसा वो
है धूल मिट्टी शोर-ओ-गुल भी और सिग्नल की लाल रौशनी,
पल भर थमे इस कारवां में खोज रही हूं ज़िंदगी।
खिड़की के उस पार आसमां में,है उड़ते परिंदे कुछ दिख रहे
उड़ चला है मन ये मेरा,संग उनके हिमालये।
है ऊंचे ऊंचे पर्वत यहां,चूमते हैं वो गगन
है गहरी गहरी नदियाँ भी,सींचती धरती का तन।
दूर दूर तक देखो जहां भी,दिख रही है वादियां
शोर-ओ-गुल से बहुत दूर,मैं और मेरी खामोशियां।
सूरज और बादल खेलते हैं लुका छिपी अक्सर यहां,
सात रंगों का इंद्रधनुष करता है रौशन इनका जहां।
ऐसे ही कई रंगों से कुछ पल के लिए था मन भरा,
टूट गया वो ख्वाब मेरा, लाल सिग्नल के होने पर हरा।
चल पड़ा है कारवां फिर से अपनी मंज़िल की तरफ
परिंदे भी वो उड़ गए ,ख्वाब में दिखाकर सुकून की इक झलक।
सवाल जो जी में थे मेरे, शोर-ओ-गुल में कहीं खो गए
जवाब थे जो ख्वाबों में,जाते परिंदों को देख वो भी सो गए।।-