Jyoti Jha   (Jyoti Jha)
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हिंदी प्रेम है❤️
सब होड़ में थे, अपनी बात कहने को
मैने उठाया कलम, और कविता लिख दी!
Joined 22 October 2017


हिंदी प्रेम है❤️
सब होड़ में थे, अपनी बात कहने को
मैने उठाया कलम, और कविता लिख दी!
Joined 22 October 2017
26 JUN 2019 AT 22:10

कुछ इस तरह जिए जा रहे है।

शोर बहुत है बाहर,
अंदर भी कुछ मचल रहा,
पर अनिभिज्ञ आवरण ओढ़े,
"सब बढ़िया", कहे जा रहे है।
कुछ इस तरह जिए जा रहे है।।

होड़ में, दौड़ में, हैं भाग रहे,
भाग रहे, और भागते ही जा रहे,
पर देना दाद मेरे भी काबिलियत की,
वक़्त - वक़्त पर सांस लिए जा रहे है।
कुछ इस तरह जिए जा रहे है।।

रोज़ थोड़ा बाहरी जोड़ते,
भीतरी कुछ घटा देते,
लोक - स्वीकृति की लालसा में,
खुद को दफन किए जा रहे हैं।
कुछ इस तरह जिए जा रहे है।।

✍️ज्योति झा





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26 JUN 2019 AT 19:39

बहुत बैचैन हो रहा हैं मन,
कुछ नज़्में फिर सुना दो ना तुम...

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24 JUN 2019 AT 12:37

।। बुआ ।।

नैन नवल में नेह लिए,
भाई को देख हंसती है।
खिल जाता हर इक कोना,
घर में कदम बुआ जब रखती है।

हां, बंध गई है नए रिश्तों में,
उसकी अलग इक दुनिया है।
पर प्रार्थना के दोहों मे आज भी,
मायके को याद वो करती है।

खिल जाता हर इक कोना,
घर में कदम बुआ जब रखती है।


✍️ज्योति झा












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10 JUN 2019 AT 7:10

छूकर गालो को मेरे, जो इतरा रहे है इतना,
क्या तुम भी इन हवाओं के साथ आए हो?

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12 MAY 2019 AT 12:10

नापनी है दूरी नभ की,
और सूर्य व्यंग कर रहा
ना करो फिक्र,
मुझे ज़रा जल लेने दो!

अभी भी वक़्त है,
मुझे संभल लेने दो!

✍️ ज्योति झा











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11 MAY 2019 AT 21:07

अभी भी वक़्त है,
मुझे संभल लेने दो!

दूर कहीं ठिकाना है मेरा,
और कांपते ये पग दोनों।
है ख़ुदा का वास्ता,
मुझे पर चल लेने दो!

अभी भी वक़्त है,
मुझे संभल लेने दो !

✍️ ज्योति झा











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11 MAY 2019 AT 20:39

महंगे कपड़े, अपनी कार,
ऐसा तो कुछ मिला न यार!
पर देखा है पापा का पसीना,
यही मेरी प्रेरणा, यही दौलत अपार!



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4 APR 2019 AT 6:18

लिखे ख़ुदा ने, इश्क़ ओ इबादत के किस्से
मैं करू शुक्रान, तुमको भेजा मेरे हिस्से!

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30 MAR 2019 AT 12:44

लिपाई- पुताई खूब हुई, मेरे भी तौर तरीको पे
हैं खुन्नस में ज़माना, के खुद सी दिख रही हूं!

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30 MAR 2019 AT 11:34

यूं ना सोचो की शब्दों की कमी है मेरे पास,
चुप हूं, के इन्हे बेमतलब ज़ाया करना मंजूर नहीं!

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