ज़मीर तो उनकी मैली है,
जो खुद माटी के होकर यतीमों को माटी का कीड़ा समझते है,
वरना जायका बेहतर पहचानते हैं वो,
जो जमीन पर बैठकर खाना खाने को अदब में बड़ा समझते हैं।
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I'll do word's fight,
If writing can help me,
I'll write.
If imag... read more
मजबूरियां थी कुछ,
जो तेरी गली हम आ ना सकें,
वरना इतने कमजर्फ तो नहीं थे
कि दुरियों के सबब बता ना सकें।-
इश्क़ मुकम्मल करने की,
कुछ कोशिश तुम भी लाओ ना,
मैं बन जाउंगी प्रीति सी,
तुम भी कबीर बन कर आओ ना।
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पता ही नहीं चलता कितना गहरा रिश्ता है,
तीन यारों की दोस्ती में एक हमेशा पीसता है।-
प्याली चाय की हो या प्रेम की,
दिल फेंक नशा बराबर चाहिए,
बर्बाद तो बेशक दोनों करते हैं,
पर नशा बर्दाश्त जोरावर चाहिए।-
ना जाने कब इश्क़ जहर बन बैठे,
धागा इश्क़ का काफी कच्चा है,
इतने फरेब होते हैं इश्क़ में कि,
चाय ज़ेहन में बसे वही अच्छा है।-
आंखों के तो क्या ही कहने,माहिर हैं दर्द छुपाने में,
पर जब भी दर्द छलक जातें,भागे जज़्बात मयखाने में।
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लेकर गुलाब दीवाने बहकते रहे लोगों की राय में,
एक हम उनपर दिल हार बैठे बस एक कप चाय में।
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मेरे इश्क़ का रंग श्यामील होना कहां मुश्किल था,
पर क्या तेरी राधा के लिए तेरे सीने में श्याम सा दिल था?
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लिहाजा मैं एक बेमुरौवत की इज्जत कर भी लूं,
पर क्या है ना, उस इज्जत की बेइज्जती हो जाएगी।-