रूह का रूह से मिलन हों, ऐसा इश्क़ देखे तो,
ज़माना हो गया।
आजकल तो या
बस
जिस्म की मुराद का एक बहाना हो गया हैं,
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मिट्टी पूजा
मिट्टी दर्पण
मिट्टी सा मन मट मैला
सोन पूज के का करे
मिट्टी से बना शरीर निस्चर ठहरा-
Last year, my mom visited my place and I remember, she pointed some crack on dinning plate and told me that it will not last longer and advised me to throw it.
And I have some kind of fetish habit of not throwing things even when it become useless (it’s more like storing garbage sometimes, but I like it that way or may be I get too attached to useless things in my life, most of the time)
Whatever !
So ...coming back from flashback to Present..
Today when I was serving the dinner, I saw that plate and suddenly I got to remember her words
“Throw this, it won’t last “
Strange, she is no more in my life and the cracked plate is still there in my kitchen cupboard.
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जब ध्यान सवप्न मगन में
तुम चैन की नींद सो जाते हो
तब रात की अँधेरियों से
एक शख़्स आँख मिचोली खेलता है
जब गरम कम्बल के आघोस में
तुम अपनी उँगलियों से AC के तापमान को
और धीमा करते हो
तब फ़ुट्पैथ पर लेटा वो शख़्स
अपने बदन का हर नग्न हिस्सा ढकने की तलब
को अपनी मूठी में जकड़ने की कोशिश करता है
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ग़ैरों के दुःख तो सह ले
पर
अपनो का कैसे सहें
ग़ैरों से तो नज़रें चुरा ले
पर
अपनो से कैसे चुराये
ग़ैरों को तो दिल से निकल दे
पर
इस दिल को दिल से कैसे निकाले-
मेरे ख़्यालों के मखाने में भी
नाम तेरा अदब से लिया जाता हैं
तो मेरी क्या औक़ात
की तुझे कुछ ग़लत कह दूँ
पता भी है की नहीं
तुझे
पता भी है की नहीं
की तू मेरी रजा से नहीं
अपने शोक से मेरे दिल में रहता हैं-
क्या तुम्हें पता है मेरी बेख़याली का
जो तुम ख़्वाबों में भी नींद उड़ाने आ जाते हो-
Just one more day gone without you ..आज का दर्द सह लिया
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कुछ लम्हे कितने साधारण से होते हैं ना .. पर ना जाने जीवन का कितना रस भरा होता है उन में .. अब जैसे स्कूटर का हॉर्न .. जैसे ही घर के बाहर बजता था .. तो मै और मेरा भाई, कितना उत्साहित हो जाते की मम्मी पापा आ गए हैं बाज़ार से और फिर होता हम दोनो में कॉम्पटिशन, पालीबैग खोलने का कॉम्पटिशन। वहाँ से मम्मी चिल्लाती रहती और यहाँ से पापा डाँटते पर हम दोनो को इस बात की आदत हो गयी थी। अब ना तो स्कूटर रहा और मम्मी के जाने के बाद पापा ने डाँटना भी बंद कर दिया, हम भी बड़े हो गए और हमें ऐसे भी रहने की आदत हो गयी।
क्यूँ बड़े हो जाते हैं हम, क्यूँ छोड़ के चले जाते है वो लोग जिनके बिना जीवन व्यर्थ सा लगता है
पता नहीं.. पता नहीं
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